सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई वर्जिनिटी टेस्ट की कुप्रथा पर आधारित ‘एक कोरी प्रेम कथा’

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सुगंध फिल्म्स और केनिलवर्थ फिल्म्स एलएलपी की फिल्म “एक कोरी प्रेम कथा”, दर्शकों के भारी उत्साह के बीच 5 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज कर दी गयी। ‘एक कोरी प्रेम कथा’ जैसा की फिल्म का नाम है, वैसे ही फिल्म की कहानी है। जो विवाह के समय दुल्हन के वर्जिनिटी टेस्ट जैसी कुप्रथा पर आधारित है। इस फिल्म की कहानी समाज के उस पहलू से अवगत कराती है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते है तथा फिल्म ने समाज की उस कुरीति को उजागर कर लोगो तक महिलाओं के उसी दर्द को पहुँचाने का काम किया है। 

इस फिल्म में अभिनेत्री खनक बुद्धिराजा, अक्षय ओबेरॉय, राज बब्बर और पूनम ढिल्लों ने सभी मुख्य किरदारों को बखूबी निभाया है। फिल्म की लगभग 80 प्रतिशत शूटिंग उत्तर प्रदेश के बलरामपुर और उसके आस पास के क्षेत्र में हुई है।  

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक दुल्हन को अपनी शादी की पहली रात को ही उस गाँव में चली आ रही उस कुकड़ी कुप्रथा प्रथा का सामना करना पड़ता है, (जो सांसी जनजाति की एक प्रथा है) जिसमें विवाह से पहले वधू के चरित्र की परीक्षा ली जाती है, जो उसके अस्तित्व को चुनौती देता है। फिल्म में खनक बुद्धिराजा ने समाज  में आज भी चल रही इस कुकड़ी कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाई है। समाज के सभी वर्ग के लोगों को और विशेषकर महिलाओं को ये फिल्म ज़रूर देखनी चाहिये। 

फिल्म में सास की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली जानी-मानी अभिनेत्री पूनम ढिल्लों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “यह एक सार्थक और मार्मिक कहानी है और बहुत भावनात्मक है। साथ ही आज के समय में बेहद प्रासंगिक विषय है जिस पर चर्चा की जरूरत है।”

उत्साह से भरपूर अभिनेत्री खनक बुद्धिराजा ने कहा, “पूनम ढिल्लों और राज बब्बर जैसे मंझे हुए कलाकारों के साथ और हमारे अनुभवी निर्देशक के मार्गदर्शन में काम करना एक सपना सच होने जैसा है। ‘एक कोरी प्रेम कथा’ में मुख्य भूमिका निभाना और अभिनय करना जितना ही नहीं है, बल्कि मैं एक साहसी महिला का किरदार निभाने के लिए रोमांचित हूं जो निडर होकर अन्याय के खिलाफ खड़ी होती है, अपनी ताकत और लचीलेपन से सामाजिक मानदंडों को चुनौती देती है।”

चिन्मय पी पुरोहित द्वारा निर्देशित और सबा मुमताज द्वारा लिखित, “एक कोरी प्रेम कथा” आधुनिक भारत में स्थापित सामाजिक मानदंडों और महिलाओं की विकसित भूमिका के बारे में बातचीत को प्रज्वलित करने का वादा करती है। जैसा कि दर्शक बेसब्री से इसकी रिलीज का इंतजार कर रहे थे, यह फिल्म सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता को दर्शाते हुए चुनौती और प्रेरणा दे रही है।