
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आंचलिक विज्ञान नगरी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उप्र के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को दो दिवसीय तोड़-फोड़-जोड़ विषयक कार्यशाला का शुभारम्भ केंद्र परिसर में हुआ। इस अवसर पर शिव प्रसाद (आईएएस विशेष सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उप्र शासन), डॉ. डीके श्रीवास्तव (निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उप्र), राधे लाल (संयुक्त निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उप्र) एवं स्वरुप मण्डल (परियोजना समायोजक आंचलिक विज्ञान नगरी) उपस्थित थे।


कार्यशाला के शुभारंभ पर बोलते हुए विशेष सचिव शिव प्रसाद ने कहाकि विश्व के सभी देश अपने राष्ट्र निर्माण हेतु निरंतर इनोवेशन करने में लगे हुए है। क्योकि इनोवेशन द्वारा देश की चुनौतियों से निपटने में आसानी होती है।इसलिए हमें अपने देश भारत की पेयजल, कृषि, सैनिटेशन, हेल्थ केयर के क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए इनोवेशन अति आवश्यक है। इनोवेशन से हम अपनी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान क्षमताओं को मजबूती दे सकते हैं। इससे हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकते हैं। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार का एक प्रयास है जो आप सभी को अपने आस-पास मौजूद समस्याओं से निपटने के लिए इनोवेशन करने हेतु प्रेरित करेगा।



डॉ. डीके श्रीवास्तव (निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्) ने बताया कि प्रत्येक नवरचना के पीछे एक जिज्ञासु दिमाग रहता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, जिज्ञासु दिमाग को आगे बढ़ाने के प्रति लगातार कार्यशील है। उन्होंने कहाकि इस कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के लिए सीखने का वातावरण तैयार करना है। हर एक को चीजों के बारे में जिज्ञासु होना चाहिए जिनका वे इस्तेमाल करते हैं। उनके पीछे के विज्ञान एवं रहस्य को समझने की कोशिश करनी चाहिए।



स्वरुप मण्डल (परियोजना समायोजक आंचलिक विज्ञान नगरी) ने अवगत कराया कि इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को सीखने का वातावरण तैयार करना है। जहाँ विद्यार्थी, दैनिक उत्पादों (जिनका वे प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं) जैसे कि पुराने छत के पंखे, टेलीफोन, स्त्री, कम्प्यूटर इत्यादि को तोड़ना, पुनःनिर्माण या उनका पुनः इस्तेमाल किया जाना सिखाया जायेगा। तोड़-फोड़-जोड़ कार्यशाला इस प्रकार विद्यार्थियों को उनके दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले उत्पादों के पीछे के वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने का मौका मिलेगा। अपितु विश्व की समस्यों के समाधान हेतु अपने नवविचारों के विस्तार का मौका भी मिलेगा।


कार्यशाला के दूसरे दिन 23 मार्च को ‘‘कबाड़ से जुगाड़’’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा। जिसमें विद्यार्थीगणों को अपशिष्टों (कबाड़) से मॉडल बनाना सिखाया जायेगा तथा इनोवेटिव आईडिया कांटेस्ट में विद्यार्थी प्रतिभाग करेंगे। कार्यशाला के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण समारोह में पुरस्कृत किया जायेगा।
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