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नैतिक जीवन पर योगाभ्यास का सकारात्मक प्रभाव : प्रो अनुराधा तिवारी

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्नाकोत्तर महिला महाविद्यालय अलीगंज में एम्स फाउंडेशन एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय आधुनिक जीवन में योग के महत्व पर संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमे प्राचार्या प्रो. अनुराधा तिवारी, इग्नू क्षेत्रीय निदेशक जय प्रकाश वर्मा, डॉ. श्वेता भारद्वाज, डॉ. पूनम, अध्यक्ष माया आनंद मुख्य रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में अतिथियों को अंगवस्त्र पुष्प कुछ देकर स्वागत किया गया।

प्रोफेसर अनुराधा तिवारी ने बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि बच्चों पर बढ़ते तनाव को योगाभ्यास से कम किया जा सकता है। योगाभ्यास बच्चों को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। स्कूलों व महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षा विषय में योग पढ़ाया जा रहा है। योग अभ्यास से विद्यार्थियों की एकाग्रता व स्मृति शक्ति पर भी सकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि नैतिक जीवन पर भी योगाभ्यास का सकारात्मक प्रभाव है। योग के अंतर्गत आने वाले यम में दूसरों के साथ हमारे व्यवहार व कर्तव्य को सिखाया जाता है, वहीं नियम के अंतर्गत बच्चों को स्वयं के अंदर अनुशासन स्थापित करना सिखाया जा रहा है।

इग्नू क्षेत्रीय निदेशक डॉ जय प्रकाश वर्मा ने कहा कि सामाजिक गतिविधियां व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक दोनों पक्षों को प्रभावित करती हैं। आज प्रतिस्पर्धा के इस युग में व्यक्ति विशेष पर सामाजिक गतिविधियों का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। परंतु योग में वर्णित कर्म योग, हठ योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, अष्टांग योग आदि साधन समाज को नई रचनात्मक व शांति दायक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

डॉ. श्वेता भारद्वाज ने कहा कि योग एक सुव्यवस्थित व वैज्ञानिक जीवन शैली है, जिसे अपनाकर अनेक प्रकार के प्राणघातक रोगों से बचा जा सकता है। योगाभ्यास के अंतर्गत आने वाले षटकर्मों द्वारा शरीर में संचित विषैले पदार्थों का निष्कासन हो जाता है। योगासनों के अभ्यास से शरीर में लचीलापन बढ़ता है एवं शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है। प्राणायाम करने से व्यक्ति के शरीर में प्राण शक्ति की वृद्धि होती है एवं मन में स्थिरता आती है।