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वात्सल्य : राज्यस्तरीय राउंड टेबल कार्यशाला में परिवार नियोजन पर हुई चर्चा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। स्वास्थ्य, पोषण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में 27 वर्षों से सक्रिय रूप से काम कर रही “वात्सल्य” संस्था ने HCL फाउंडेशन के सहयोग से शहरी स्लम समुदायों में संचालित परियोजना “आओ बातें करें” के अंतर्गत परिवार नियोजन पर राज्यस्तरीय राउन्ड टेबल कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य परिवार नियोजन कार्यक्रमों में सहयोग बढ़ाना, दृष्टिकोण जुटाना और भविष्य के लिए सामूहिक पहलुओं को रूपांतरित करने में योगदान करना था। कार्यक्रम का शुभारम्भ बतौर मुख्य अतिथि मौजूद राज्यमंत्री (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) मयंकेश्वर शरण सिंह ने किया।

उन्होंने परिवार नियोजन कार्यक्रम पर चर्चा करते हुए कहा कि परिवार नियोजन का तात्पर्य यह नहीं कि बच्चे बिल्कुल ही न करें बल्कि जनसंख्या को नियंत्रित करने पर जोर दिया जाए। उन्होंने इसके लिए परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों के प्रयोग करने पर जोर दिया जाए। राज्य स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के जनरल मैनेजर (परिवार नियोजन) डॉ. ओझा ने पुरुष सहभागिता पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुषों को भी परिवार नियोजन में सहभागिता को बढ़ाने के लिए परामर्श पर जोर दें। इस दौरान कार्यशाला में परिवार कल्याण निदेशालय, उत्तर प्रदेश की डायरेक्टर परिवार नियोजन डॉ. मंजू यादव, ज्वाइंट डायरेक्टर परिवार नियोजन डॉ. उदय प्रताप सिंह, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (नोडल परिवार नियोजन) डॉ. बैजनाथ और परिवार नियोजन के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम करने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों (एफपीएआई, यूपीटीएसयू, पीएसआई, आईपीएएस, आदि) के विशेषज्ञ एवं परियोजना आच्छादित नगरीय सामुदायिक/ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और अधीक्षक एवं वात्सल्य की मुख्य कार्यकारी डॉ. नीलम सिंह, भुवाल सिंह डॉ. अंकित, राहुल सिंह एवं टीम के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।  

एनएफएचएस-5 के अनुसार, उत्तर प्रदेश का टोटल फर्टिलिटी दर (टीएफआर) पहले के मुकाबले कम होकर 2.4 हो गया है। हालांकि, सुरक्षित प्रसव के बाद और गर्भपात के बाद की महिलाओं तक प्रभावी रूप से पहुंचने में, साथ ही किशोरों और युवा विवाहित महिलाओं को संलग्न करने में स्थायी चुनौतियों का सामना कर रहा है। परिवार नियोजन मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक मान्यता प्राप्त हस्तक्षेप बन चुका है। इसके लाभ स्वास्थ्य से परे होते हैं क्योंकि यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों को प्रभावित करता है। हालांकि स्पष्ट ध्यान सतत विकास लक्ष्य 1, 3, 5, 8 और 10 पर है। जिसको ध्यान में रखते हुए कार्यशाला में मुख्य रूप से गर्भपात एवं प्रसव के पश्चात परिवार नियोजन के साधनों के प्रयोग, परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता एवं परिवार नियोजन में किशोरों एवं युवाओं को प्रभावी ढंग से जोड़ने पर विशेष सत्रों में परिचर्चा कर सुझाव एवं अनुभव का साझाकरण किया गया।