Monday , November 25 2024

कार्यशाला में श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा पर हुई चर्चा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। एफईएस इंडिया द्वारा व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर श्रमिकों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम में पूर्व अपर श्रमायुक्त बीजे सिंह, संदीप खरे, दिहाड़ी मजदूर संगठन के प्रदेश महामंत्री संतोष यादव, गुरु प्रसाद वक्ता के रूप में मौजूद रहे।

बीजे सिंह ने कहाकि ऑक्यूपेशनल हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल में 13 कानूनों को समाहित किया गया है तथा इसके अंतर्गत 622 धाराएं आती है। यह कानून उन फैक्ट्री में लागू होता है जहां पर 10 से अधिक श्रमिक कार्य करते है। इसके अंतर्गत अगर कोई योजना का आवेदन करना चाहता है तो उसकी प्रक्रिया ऑनलाइन ही होगी। श्री सिंह ने बताया कि प्रत्येक कर्मचारी सुरक्षा की अपेक्षा करता है, चाहे वह शारीरिक सुरक्षा हो या सामाजिक सुरक्षा हो, वित्तीय सुरक्षा हो या इस प्रकार का कोई अन्य सुरक्षा उपाय हो। कर्मचारियों की शारीरिक सुरक्षा सरकार द्वारा विनियमित किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यह नियोक्ताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी है। नियोक्ता कारखाने के मुनाफे को बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों के प्रावधान से बचते हैं। इसके अलावा, चूंकि नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच अक्सर शक्ति की असमानता होती है, इसलिए सरकार को कर्मचारियों के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं को सुरक्षित करने में एक सुविधाप्रदाता के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है। 

उन्होंने बताया कि अधिकांश तौर पर अगर मजदूरी भुगतान या दुर्घटना मुआवजा का मामला होता है उस स्थिति में नियोक्ता सीधे मना कर देता है कि ये वर्कर हमारे यहां कार्य नही करता था। कानून यह कहता है कि ये सिद्ध करना की वर्कर आपकी फैक्ट्री में कार्य करता था की नही ये नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी, किसी श्रमिक की नही।

संदीप खरे ने बताया कि फैक्ट्री एक्ट स्वास्थ्य, सुरक्षा, और सामाजिक सुरक्षा पर बनाया गया। इस एक्ट के तहत श्रमिक को न्यूनतम मजदूरी के साथ साथ बोनस, और सुरक्षा से जुड़े सभी उपकरण तथा समय समय पर नियोक्ता को स्वास्थ्य कैंपों का आयोजन करवाना चाहिए। क्योंकि इससे ये पता चलेगा की कही हमारे  काम के कारण कोई बीमारी तो नही हो रही। इसके लिए जो डॉक्टर चेकअप करने के लिए आएंगे वो एमबीबीएस के साथ लेबर डिपार्टमेंट के द्वारा प्रदान किया गया OSH पर 3 माह का डिप्लोमा होना अनिवार्य है।

संतोष यादव ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) हमेशा इस बात को उठाता रहा है कि श्रमिकों को उनके रोजगार से उत्पन्न होने वाली बीमारी और चोट से बचाया जाना चाहिए। फिर भी लाखों श्रमिकों के लिए वास्तविकता बहुत अलग है। प्रतिवर्ष लाखों श्रमिकों की मृत्यु कार्य स्थल पर उपकरणों के न होने से होती है तथा श्रमिक कई ऐसे कार्यों में लगे रहते है जिनके कारण वे भयंकर बीमारी के चपेट में आ जाते है जिनको हम व्यावसायिक बीमारी भी कह सकते हैं।

गुरु प्रसाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के असंगठित श्रमिको की सामाजिक सुरक्षा के लिए ई श्रम में पंजीकृत श्रमको को कार्यस्थल पर दुर्घटना होने पर 2 लाख का  मुआवजा देने की तैयारी प्रदेश सरकार कर रही है। उन्होंने बताया कि एक कर्मचारी के रूप में काम के लिए भुगतान किए गए पारिश्रमिक के अलावा आपकी प्राथमिक चिंता सुरक्षा है। श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने वाले प्रावधान फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के तहत दिए गए हैं। उन्होंने बताया की राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति करती है कि कारखाने नियमित रूप से कानून द्वारा प्रदान किए गए सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों का अनुपालन करते हैं। यदि निरीक्षक के पास शिकायत दर्ज की जाती है, तो वह कारखाने के मामलों को देख सकता है। निरीक्षक अनिवार्य रूप से ऐसी शिकायत को गोपनीय मानता है।

कार्यक्रम का समापन अमर सिंह के द्वारा धन्यवाद के साथ किया गया। कार्यक्रम में सीतापुर से अमर सिंह यादव, अभिषेक यादव, चंदौली से राकेश राम तथा रायबरेली से रजनीश वर्मा के साथ लखनऊ के दिहाड़ी मजदूर संगठन के लोग मौजूद रहे।