लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत, डीएसआईआर/सीएसआईआर ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, वाणिज्य एवं आंतरिक व्यापार विभाग, पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेड मार्क्स, एनआरडीसी और प्लांट वैराइटीज़ एवं किसान अधिकार प्राधिकरण के साथ मिलकर 1 जुलाई से 31 जुलाई तक इस अभियान को “राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव” के रूप में मना रहे हैं। यह महोत्सव आत्मनिर्भरता के उद्देश्यों के साथ बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) पर केंद्रित है। इस पहल का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है जिससे पेटेंट, भूगोलीय संकेत (ज्योग्राफ़िकल इंडिकेशन या जीआई), ट्रेडमार्क, कॉपीराइट एवं अन्य बौद्धिक संपदा संरक्षण के पंजीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके।
सीएसआईआर-सीडीआरआई में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) समन्वयक डॉ. श्रीपति आर. कुलकर्णी ने इस राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव के जेनेसिस (उत्पत्ति) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह अभियान एक केंद्रित एवं समयबद्ध पहल है और इसे बौद्धिक संपदा अधिकारों का पंजीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नियोजित किया गया है। सीएसआईआर नवाचार को बढ़ावा देने, अन्वेषकों के अधिकारों की रक्षा करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा के महत्व को पहचानता है।
जुलाई माह में, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ अनुसंधानकर्ताओं, आविष्कारकों, उद्यमियों एवं जनता को उनकी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के महत्व के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से एक कार्यक्रमों की श्रंखला आयोजित कर रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य विभिन्न आईपीआर के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराना है एवं अनुसंधान एवं विकास को सुविधाजनक बनाने, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में आईपीआर की भूमिका एवं योगदान के विषय में जागरूकता लाना है।
इसी “राष्ट्रीय बौधिक संपदा महोत्सव” के सिलसिले में सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ ने आज एक कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने कार्यक्रम की अतिथि वक्ता डॉ. इंद्रा द्विवेदी (पूर्व मुख्य वैज्ञानिक एवं ग्रूप लीडर-पेटेंट्स, सीएसआईआर-आईपीयू, नई दिल्ली) का स्वागत किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने राष्ट्रीय बौधिक संपदा महोत्सव के प्रति अपने उत्साह को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि इस महोत्सव का आयोजन हमारी नवाचार की संस्कृति को पोषण करने एवं बौद्धिक सृजनों की सुरक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है। बौधिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, हम व्यक्तियों और संगठनों को उनके आविष्कारों, रचनाओं और विशेष पारंपरिक ज्ञान की संरक्षा करने की शक्ति प्रदान करना चाहते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन सीडीआरआई लखनऊ के प्रेक्षागृह में किया गया, जहां लगभग 200 से अधिक प्रतिभागी मौजूद थे।
अतिथि वक्ता डॉ. इंद्रा द्विवेदी (जो की बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में एक प्रख्यात विशेषज्ञ हैं) ने बौद्धिक संपदा के संरक्षण में आईपीआर की प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने प्रभावशाली सम्बोधन एवं विचार विमर्श के दौरान भारत में पेटेंट संबंधित कानूनों पर जानकारी दी एवं भारत में पेटेंट आवेदन करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करके, सहयोग को बढ़ाकर एवं आईपीआर की समझ को मजबूत करके हम संयुक्त रूप से भारत को एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान कर सकते हैं। उन्होने उपस्थित लोगों को उनके आविष्कारों के माध्यम से होने वाले लाभ एवं उपलब्धियों के बारे में जागरूक किया। कार्यक्रम का समापन डॉ संजीव यादव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।