-सीएम योगी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में 2×800 मेगावाट की ‘ओबरा डी’ तापीय परियोजनाओं को मिली मंजूरी
-एनटीपीसी और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी में शुरू होगी परियोजना, यूपीजीआईएस में हुआ था करार
-प्रदेश की पहली अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट होगी ‘ओबरा डी’, एडवांस टेक्नोलॉजी और अधिक एफिशिएंसी से कम होगी बिजली की कॉस्ट
लखनऊ। योगी सरकार ने प्रदेश में उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन्हीं प्रयासों के क्रम में मंगलवार को लोकभवन में सीएम योगी की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में सोनभद्र के ओबरा में लगभग 18 हजार करोड़ की लागत से 800-800 मेगावाट की 2 तापीय परियोजनाओं ‘ओबरा डी’ को मंजूरी प्रदान की गई। इन परियोजनाओं को एनटीपीसी के साथ 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी में पूर्ण किया जाएगा। इसमें 30 प्रतिशत की इक्विटी दी जाएगी, जबकि 70 प्रतिशत राशि का प्रबंध वित्तीय संस्थानों से किया जाएगा। खास बात ये होगी कि यह राज्य की पहली अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट होगी। ऐसा प्लांट अब तक प्रदेश में नहीं बना है। इस तरह के प्लांट की टेक्नोलॉजी एडवांस होती है, इनकी एफिशिएंसी काफी ज्यादा होती है और कोयले का कंजंप्शन भी काफी कम होता है। इसके चलते कॉस्ट में भी कमी आती है। निश्चित रूप से इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।
50 महीने में तैयार हो जाएगी पहली यूनिट
मंत्रिपरिषद के निर्णयों की जानकारी देते हुए नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि बिजली की खपत बढ़ रही है और हमारा मानना है कि दिन पर दिन ये लगातार बढ़ती जाएगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हमने एनटीपीसी के साथ ओबरा में एक तापीय प्लांट लगाने का समझौता किया था। इसी समझौते के तहत प्रदेश सरकार और एनटीपीसी ने प्लांट शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसे मंत्रिपरिषद से भी अनुमति प्रदान कर दी गई है। यह प्लांट लगभग 500 एकड़ की जमीन पर बनेगा और यदि आगे और जमीन की जरूरत होगी तो उसकी भी व्यवस्था कर ली जाएगी। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार और एनटीपीसी की 50-50 परसेंट की भागीदारी होगी। इसमें 30 प्रतिशत इक्विटी दोनों पार्टियां देंगी और 70 प्रतिशत वित्तीय संस्थाओं से लोन लेने का विचार है। पहली यूनिट के 50 महीने में और दूसरी यूनिट के 56 महीने में तैयार होने का लक्ष्य है।
एक रुपए प्रति यूनिट सस्ती पड़ेगी बिजली
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि थर्मल सेक्टर में हमारी क्षमता 7 हजार मेगावाट है और ये दो प्लांट इसके लगभग एक चौथाई के बराबर बनने जा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह प्लांट न सिर्फ प्रदेश का बल्कि पूरे देश का एनर्जी हब बन सकता है। उन्होंने बताया कि अच्छी बात ये है कि बगल में ही कोल माइंस एनसीएल है, जहां से इन प्लांट को कोयला मिलेगा। कोयले के कंजंप्शन के साथ-साथ कोयले की ढुलाई में भी कम खर्च होने से काफी बचत होगी। फिलहाल हम 5.50 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदते हैं, जबकि इस प्लांट से हम 4.79 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद पाएंगे। यानि हम उपभोक्ताओं को एक रुपए प्रति यूनिट सस्ती बिजली उपभोक्ताओं को उपलब्ध करा पाएंगे।