सनातन संस्कृति, मां गायत्री दीप यज्ञ एवं पारिवारिक मेला 21 मार्च को
लखनऊ। भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2080 की पूर्व संध्या पर 21 मार्च को सरस्वती कुंज, सरस्वती शिशु मंदिर निराला नगर में सनातन सेवा संस्थान के बैनर तले मां गायत्री दीप यज्ञ एवं पारिवारिक मेले का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बतौर मुख्य यजमान उपमुखमंत्री बृजेश पाठक उपस्थित रहेंगे। ये जानकारी भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ लखनऊ महानगर के संयोजक अभिषेक खरे ने दी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य परिवारों को जोड़कर हमारी सनातन संस्कृति के विचारों को जन – जन तक पहुंचाने का प्रयास है। उन्होंने कहाकि आज युवा पीढ़ी सनातन संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहा है। ऐसे में इस तरह के आयोजन से युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति से अवगत कराना भी है।
गौरव माहेश्वरी ने बताया कि इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. दिनेश शर्मा (पूर्व उप मुख्यमंत्री), मुख्य वक्ता गायत्री परिवार से पूज्य डॉ. चिन्मय पांड्या (प्रति कुलपति, देव संस्कृत विश्वविद्यालय,हरिद्वार), मुकेश शर्मा (सदस्य विधान परिषद एवं महानगर अध्यक्ष, भाजपा, लखनऊ) इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसी के साथ पंकज सिंह (विधायक, नोएडा), डा. नीरज बोरा (विधायक, लखनऊ उत्तर विधानसभा), डॉ. महेंद्र सिंह (सदस्य विधान परिषद एवं पूर्व मंत्री), आशुतोष टंडन (विधायक एवं पूर्व मंत्री) संयुक्ता भाटिया (निवर्तमान महापौर) सहित पार्टी एवं समाजिक संस्थाओ से वरिष्ठ गण अपने परिवारो के साथ उपस्थित रहेंगे।
उमेश शर्मा ने अवगत बताया कि गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार से आई हुई टोली और गायत्री परिवार से जुड़े परिवारों द्वारा 2400 दीप प्रज्वलन कर दीप यज्ञ का शुभारंभ किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में डॉक्टर आकांक्षा की टीम द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके उपरांत फूलों की होली खेली जाएगी। बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के गेम्स के स्टॉल लगेंगे। आए हुए समस्त अतिथियों के लिए न्यूनतम मूल्य पर स्वादिष्ट व्यंजनों के फूड स्टॉल लगाए जाएंगे। कार्यक्रम का समापन माताओं एवं बहनों के नेतृत्व में भजनों पर डांडिया नृत्य कर किया जाएगा।
विमर्श रस्तोगी ने बताया कि मेले का मतलब होता है मिलन और हम इस मेले के माध्यम से अपने परिवारों को जोड़कर आने वाली युवा पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखने का संदेश देना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी आने वाले आधुनिकता के दौर में अपनी संस्कृति और विरासत का भी ध्यान रखते हुए जन-जन के बीच भारतीय नववर्ष को हर्ष और उल्लास के साथ मनाने का संदेश दें। उम्मीद करते हैं कि इस साल शुरू किए जा रहे इस पारिवारिक मेले को भविष्य में और बड़ा रूप देते हुए आने वाले वर्षों में अधिक से अधिक लोगों को हम इससे जोड़ेंगे तथा अपने भारतीय नववर्ष को धूमधाम से मनाएंगे।