भाषा विश्वविद्यालय का सप्तम दीक्षांत समारोह संपन्न
पोषण युक्त व मोटे अनाज के प्रति आमजन को करें जागरूक – राज्यपाल
इष्ट देव है ‘भारत राष्ट्र’ और इष्ट देवी है ‘भारत माता’ – कैबिनेट मंत्री
लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह राज्यपाल उत्तर प्रदेश एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष पदम श्री चमू कृष्ण शास्त्री, विशिष्ट अतिथि कैबिनेट मंत्री उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश योगेंद्र उपाध्याय एवं राज्यमंत्री उच्च शिक्षा विभाग रजनी तिवारी, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह मौजूद रहे।
दीक्षांत समारोह का शुभारंभ राज्यपाल द्वारा जल भरो परम्परा के साथ किया गया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत स्मारिका के विमोचन के साथ ही नवनिर्मित पार्किंग स्थल का लोकार्पण भी किया।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की संख्या बढ़ी है एवं अधिकतम संस्थानों में मेडल प्राप्त करने वालों में भी छात्राओं की संख्या अधिक होती जा रही है। शिक्षण एवं शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है और जल्द ही अन्य क्षेत्रों में भी उनकी भागीदारी बढ़ेगी। प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे मिलेट अभियान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने विद्यार्थियों को पोषण युक्त भोजन के महत्व के बारे में बताएँ। आंगनवाड़ियों के सहयोग में विश्वविद्यालयों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि सामाजिक सहभागिता शिक्षण संस्थानों के लिए अति महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं स्थानीय भाषा के महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भाषा विश्वविद्यालय को अनुवाद के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए। साथ ही उन्होंने मोटे अनाज पर आधारित एक व्यंजन पुस्तिका तैयार करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को यह संदेश दिया कि उन्हें अपने माता पिता और गुरु के साथ साथ देश और धरती का भी सम्मान करना चाहिए और एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अपने दीक्षांत उद्बोधन में चमू कृष्ण शास्त्रीजी ने कहा कि भाषा व्यक्ति के मस्तिष्क के विकास के साथ साथ उसके व्यक्तित्व और समाज का विकास करती है। भाषा देश को जोड़ने का काम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा के सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना चाहिए एवं सभी विद्यार्थियों को अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भाषा के माध्यम से ही ज्ञान का प्रवाह हुआ है और आज का युग तकनीक का युग है इसलिए भाषा को तकनीक से जोड़ना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यह युग नॉलेज इकौनोमी, नॉलेज सोसाईटी, नॉलेज इंडस्ट्री और नॉलेज ड्रिवन ग्लोब का युग है। भारतीय भाषा इसका हिस्सा तभी बन सकती है जब भारतीय भाषाओं में दिन प्रतिदिन रीयल टाइम में नई जानकारियां तैयार एवं उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय भाषा के प्रचार प्रसार में मानसिकता के बदलाव की अहम भूमिका है और यदि हमें भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है तो हमें मानसिकता में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा ये कार्य जटिल अवश्य है लेकिन यदि इसे चरणबद्ध तरीक़े से किया जाए तो किया जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वह स्वप्न देखें पर केवल अपने लिए न देखकर वह भव्य भारत का निर्माण करने का स्वप्न देखें।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री, योगेंद्र उपाध्याय ने सभी पदक धारकों और डिग्री धारकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षा का कोई अंत नहीं होता शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है और शिक्षा का उद्देश्य संस्कारों को बढ़ाने के साथ ही उन्हें द्रढ़ रखना भी है। उन्होंने शिक्षा को तकनीक और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया और साथ ही बताया कि देश के युवाओं को समझना होगा कि तुम्हारा कोई इष्ट देव है तो एक है “भारत राष्ट्र” और इष्ट देवी है तो एक “भारत माता”। राष्ट्र देवता भी है और यही हमारी शिक्षा का आधार बनता तो किसी भी विश्वविद्यालय में देश विरोधी गतिविधियां नहीं पनपती। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति मातृभाषा में शिक्षा पर जोर देती है और हमारी भाषा हमें संस्कारों से जोड़ती है। इसलिए शिक्षकों को विद्यार्थियों में देश के प्रति समर्पित होने का भाव जागृत करना चाहिए। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के लिए अत्यंत गौरव की बात है कि हम G20 का नेतृत्व कर रहे हैं और यह हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की वजह से संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि अब भारत विश्व का नेतृत्व करता है और विद्यार्थियों को इस संबंध में पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के प्रयत्नों से उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है, विशेषकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में। उनके नेतृत्व में प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों की दशा एवं दिशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तन आया है। उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में विद्यार्थियों को राष्ट्रहित तथा राष्ट्रप्रेम को सर्वोपरि रखने का मंत्र दिया।
इस दौरान राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय में अपनी दीक्षा प्राप्त कर सभी छात्र देश को विश्व में महान शक्ति बनाने में अपना सहयोग देंगे। नई शिक्षा नीति की सफलता के लिए विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता, व्यवसायिक दक्षता, अनुसंधान और मौलिक शोध का वातावरण होना आवश्यक है और भाषा विश्वविद्यालय आकर ऐसे वातावरण की अनुभूति हो रही है।
कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह ने कहा कि अगले साल से एलएलबी और बी फार्मा के कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने बीते सत्र में आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, ब्लू बुक एवं बजाज फिनसर्व आदि जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ 11 एम ओ यू हस्ताक्षरित किए गए हैं। पहली बार तीन कंसलटेंसी और तीन लाख का एंडोवमेंट फंड मिला है। इस सत्र में 15 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हासिल किया गया है। प्लेसमेंट सेल की स्थापना के साथ 80 विद्यार्थियों का प्लेसमेंट किया गया है। हाल ही में ब्लू बुक कंपनी ने बीटेक को इंटर्नशिप दिया है। अवध इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना के साथ डेढ़ करोड़ के फंड की पहली किस्त भी मिल गई है। विश्वविद्यालय के भवनों का नामकरण देश के अमर शहीदों और महान सपूतों के नाम पर किया गया है। विद्यार्थियों को पहली बार एक्सीडेंटल इंश्योरेंस दिया गया है।
मेडल पाने वाले स्टूडेंट्स
समारोह में 890 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई एवं साथ ही 47 छात्र एवं 63 छात्राओं को 110 स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किए गए । 110 पदकों में 01 ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक, 01 कुलाधिपति पदक, 01 कुलपति पदक, स्नातक पाठ्यक्रमों में 27 स्वर्ण, 21 रजत, 19 कांस्य, परास्नातक पाठ्यक्रमों में 17 स्वर्ण, 13 रजत एवं 13 कांस्य पदक शामिल हैं। बीए ऑनर्स अरबी की छात्रा नूर फातिमा (93.29%) ने अधिकतम अंकों के साथ ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक एवं कुलाधिपति पदक प्राप्त किया तथा बी०एड० पाठ्यक्रम के प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता कार्तिकेय तिवारी (87.85%) को कुलपति पदक प्रदान किया गया।