सुजीत कुमार सिंह
लखनऊ। पश्चिमोत्तर भारत के तराई सहित करीब 10,00,000 (दस लाख) वर्ग किलोमीटर के दायरे में छाए घने कोहरे की चादर ने सूरज की किरणों को धरती पर पहुंचाने से रोक दिया है। इससे पहाड़ ही नहीं मैदानों में भी ठिठुरन बढ़ गई है। कई मैदानी इलाकों में दिन का तापमान पहाड़ी इलाकों से भी कम दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अधिकारी ने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश में ठंड व कोहरे को लेकर अगले 3 दिन के लिए नारंगी चेतावनी जारी की गई है। उन्होंने बताया कि 7 जनवरी को ताजा पश्चिमी विक्षोभ आने के साथ ही मौसम एक बार फिर करवट लेगा और ठंडक से राहत मिलेगी। नए साल में कुछ दिन राहत देने के बाद पश्चिमी भारत में शीतलहर लौट आई है
आईएमडी के मुताबिक मौसम की घटनाओं की गंभीरता को सामने लाने के लिए मौसम की चेतावनी में कलर कोड का उपयोग किया जाता है।
मानसून के दौरान अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश होती है और आपने अपने क्षेत्र, राज्य आदि में मौसम स्टेशनों द्वारा रंग आधारित चेतावनी या अलर्ट पीला, नारंगी या लाल जारी करने की खबरों के बारे में पढ़ा होगा। क्या आप जानते हैं कि ये रंग के कोड क्या दर्शाते हैं और इन्हें किस आधार पर तय किया जाता है?
क्यों होता है रंगों का प्रयोग :
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक मौसम की घटनाओं की गंभीरता को सामने लाने के लिए मौसम की चेतावनी में कलर कोड का उपयोग किया जाता है। मुख्य रूप से प्रासंगिक अधिकारियों और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को मौसम के प्रभाव के बारे में चेतावनी देने होती है। उनसे यह उम्मीद की जाती है ताकि उन्हें आपदा के खतरों को कम करने से संबंधित आवश्यक कार्रवाई के लिए तैयार रखा जा सके।
ऐसे मौसम के लिए होता है रंग :
हरा – कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। बारिश होने की संभावना होगी लेकिन स्थिति सामान्य रहेगी, संबंधित जगह पर मौसम संबंधी कोई खतरा नहीं होगा।
पीला (येलो) – देखें और सतर्क रहें, येलो अलर्ट लोगों को केवल सतर्क करने के लिए जारी किया जाता है।
नारंगी (आॉरेंज) – तैयार रहें, जब भारी बारिश का अनुमान या चक्रवात के कारण मौसम के बहुत अधिक खराब होने के आसार होते हैं। ऑरेंज अलर्ट में अक्सर लोगों को घरों में रहने का सुझाव दिया जाता है।
लाल (रेड) – कार्रवाई करें, जब मौसम संबंधी गतिविधियां खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती हैं और भारी नुकसान होने की आशंका बनी रहती है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
जबकि यह सामान्य व्याख्या है, विशिष्ट मौसम की घटनाओं जैसे भारी बारिश, तूफान, बिजली गिरना आदि में इन रंगों से मेल खाने वाली अधिक चिन्हित चेतावनियां होती हैं।
रंग का पूर्वानुमान कैसे लगाते हैं :
आईएमडी का कहना है कि 5-दिवसीय पूर्वानुमान योजना के तहत किसी दिए गए मौसम की स्थिति हेतु रंग तय करने के लिए, एक विशिष्ट मैट्रिक्स का पालन किया जाता है जिसमें घटना के घटित होने की आशंका पर जोर देने के साथ-साथ इसके प्रभाव का आकलन किया जाता हे।
इस सबके बाद प्रभाव-आधारित चेतावनी के लिए रंग कोड के मूल्यांकन में मौसम संबंधी कारक, हाइड्रोलॉजिकल कारक, भू-भौतिकीय कारक आदि शामिल किए जाते हैं। जो प्रभाव और खतरों को निर्धारित करने के लिए परस्पर प्रभाव डाल सकते हैं। इस प्रकार, चेतावनी के लिए उपयुक्त रंग कोड तय करने के लिए मौसम कार्यालय इन सभी कारकों को ध्यान में रखता है।
यह रंग क्या कहते हैं
उदाहरण के लिए, वर्षा चेतावनी के लिए रंग का कोड जब हरा रंग होता है तब कोई भारी वर्षा का पूर्वानुमान नहीं होता है। यदि कोई जगह पहले से ही बाढ़ की स्थिति है और वहां भारी वर्षा होने के आसार हैं तो रंग नारंगी या लाल हो सकता है। अलग-अलग स्थितियों में भारी पीला रंग किया जाता है। जब 3 दिनों तक लगातार भारी से बहुत भारी बारिश होती है, तो रंग है पहले दिन 1 और 2 के लिए नारंगी और दिन 3 के लिए लाल होता है। अलग-अलग जगहों पर अत्यधिक भारी वर्षा के लिए लाल रंग होता है।