लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (ATMA) सिवान, बिहार द्वारा चयनित किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों व खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन तकनीकियों के प्रति जागरूक करने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान में प्रारम्भ किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम मे सिवान के 02 महिला किसान के साथ 30 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती के साथ-साथ इनसे बनने वाले उत्पादों की तकनीकी को भी सिखाना है, ताकि किसानों को सीधा लाभ प्राप्त हो।
कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में डॉ. एरोमा मिशन के परियोजना समन्वयक और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि सीएसआईआर-सीमैप पिछले 60 वर्षों से औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती मे किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। नई-नई कृषि तकनीकी, पौध सामग्री एवं उन्नतशील प्रजातियां किसानों को उपलब्ध करा रहा है। जिसके फलस्वरूप लाखों किसानों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा है। किसानों द्वारा संस्थान की विकसित उन्नत प्रजातियों एवं तकनीकों को अपनाकर देश को मेंथा तथा नीबूघास के तेल के उत्पादन मे विश्व मे प्रथम स्थान बनाया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह सभी लोग मिल कर कार्य करेंगे तो दूसरे सगंधीय तेलों जैसे खस, पामारोजा व अन्य सगंधीय तेलों मे आत्मनिर्भरता के साथ निर्यात भी कर सकेंगे। उन्होने कहा कि मुझे आशा है कि अगले चार दिनों मे वैज्ञानिकों द्वारा औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती, प्राथमिक प्रसंस्करण व विपणन विषय पर विस्तार से जानकारी प्रदान किया जाएगा।
तकनीकी सत्र में डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने संस्थान द्वारा प्रदत्त सेवाओं व गतिविधियों के साथ-साथ सीएसआईआर-सीमैप द्वारा विकसित हर्बल उत्पादों के बारे मे विस्तार से प्रतिभागियों को बताया। तत्पश्चात डॉ. राकेश कुमार ने मिंट के उत्पादन की उन्नत तकनीकी प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. राम सुरेश शर्मा ने खस के उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियायें प्रतिभागियों से साझा की।
डॉ. ऋषिकेश एन भिसे ने कालमेघ की उन्नत खेती के बारे में बताया। डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा संगन्ध गुलाब के उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियायें को प्रतिभागियों से साझा की। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के डॉ. संजय कुमार, डॉ. आरके श्रीवास्तव, डॉ. राम सुरेश शर्मा व डॉ. ऋषिकेश एन. भिसे एवं शोधार्थी इत्यादि उपस्थित रहे।
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