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अन्‍य भाषाओं के साथ संवादरत रहने की है जरूरत : प्रो. कृष्ण कुमार सिंह

वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि साहित्य, भाषा और संस्कृति अंतर्संबंधित हैं, कोई भी भाषा अपनें निकटतम भाषा या किसी अन्य भाषा के साथ संबंध स्थापित करके खुद को संवर्धित करती है। हमें अन्य भाषाओं के साथ संवादरत रहने की जरूरत है। प्रो. सिंह अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा अध्ययन विभाग एवं भारतीय भाषा विभाग द्वारा ‘भाषा, साहित्य एवं संस्कृति’ विषय पर 9-13 सितंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।


प्रो. सिंह ने कहा कि विभिन्न देशों की भाषाओं में उन देशों की संस्कृति के साथ-साथ संपूर्ण मानवता की संस्कृति अभिव्यक्त हुई हैं। कोई एक भाषा अपने आप में मुक्कमल नहीं होती हैं अन्य भाषाओं के साथ निरंतर संवादरत रहती हैं। अत्यन्त समृद्ध भाषा संस्कृत भी अन्य भाषाओं के साथ संवाद करके अपने को विकसित किया है। यही बात हर भाषा पर भी लागू होती है- चाहे वह चीनी हो, अंग्रेजी हो, स्पेनिश हो, फ्रेंच हो या जापानी हो, अपने निकट की भाषा व संस्कृति के साथ संवाद करके आगे बढ़ती है। हमारा विश्वविद्यालय भारत का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो हिंदी को केंद्र में रखकर अध्ययन-अध्यापन पर जोर देता है। हमारा यह कर्तव्य है कि इस तरह के अकादमिक आयोजन होते रहें ताकि विद्यार्थी अपने विषयों में चल रहे अकादमिक गतिविधियों से अवगत हो सकें।

प्रास्ताविक एवं स्वागत वक्तव्य देते हुए भाषा विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने कहा कि सीमित संसाधनों में बेहतरीन तरीके से वैचारिक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, कार्यशाला में विद्वत वक्ताओं के उद्बोधन से हमारे विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
सहायक प्रोफेसर मैत्रेयी ने संचालन तथा सहायक प्रोफेसर डॉ. रवि कुमार ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर चीनी भाषा एवं फ्रांसीसी भाषा के विद्यार्थियों ने संगीतमय प्रस्तुतियां दीं। कार्यशाला का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन व कुलगीत से किया गया। इस अवसर पर प्रो. अनिल कुमार पांडेय, डॉ. एच.ए. हुनगंद, चीनी भाषा के सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिर्बाण घोष, फ्रांसीसी भाषा के सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप कुमार, जापानी भाषा के सहायक प्रोफेसर सन्मति जैन, उर्दू भाषा के सहायक प्रोफेसर डॉ. हिमांशु शेखर, डॉ. आम्रपाल शेंदरे, डॉ. रामकृपाल सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, कर्मी, शोधार्थी व विद्यार्थी ऑफलाइन व ऑनलाइन उपस्थित रहे।

प्रो. अदिति ने चीनी तथा डॉ. गौरव ने स्पेनिश भाषा पर किया मार्गदर्शन – उद्घाटन सत्र के तदुपरांत चीनी भाषा पर आधारित विमर्श में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अदिति झा ने बीज वक्तव्य में चीनी भाषा की लिपि, चीनी भाषा एवं साहित्य सहित तुलनात्मक साहित्य पर चर्चा की। स्पेनिश भाषा पर आधारित विमर्श में बाह्य विषय विशेषज्ञ के रूप में जेएनयू, नई दिल्ली के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव कुमार ने स्पेनिश भाषा में रोजगार के अवसर जैसे कि, अनुवादक, दूतावास में कर्मचारी, विभिन्न कंपनियों में रोजगार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

13 सितंबर तक कार्यशाला में विद्वत वक्ता करेंगे विमर्श

अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला 13 सितंबर तक चलेगी, जिसमें चीनी, स्पेनिश, फ्रांसीसी, जापानी, उर्दू और अंग्रेजी विषयों के विद्वान उद्बोधन देंगे। 10 सितंबर को स्पेनिश एवं चीनी भाषाओं पर विमर्श होगा, जिसमें जेएनयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अपराजित चटोपाध्याय स्पेनिश पर तथा जेएनयू के डॉ. राकेश कुमार चीनी भाषा पर विचार रखेंगे।‌ 11 सितंबर को जापानी और चीनी भाषाओं पर विमर्श में दिल्ली विश्वविद्यालय के उनिता सच्चिदानंद और जापान फाउंडेशन विदेश मंत्रालय, जापान की जापानी भाषा सलाहकार चियाकी सुजुकी जापानी भाषा पर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय, पूर्व एशिया अध्ययन विभाग की श्रीपर्णा राय वक्तव्य देंगी।‌ 12 सितंबर को उर्दू एवं फ्रांसीसी भाषाओं पर विमर्श में मुंबई विश्वविद्यालय के डॉ.अब्दुल्ला इम्तियाज, दिल्ली विश्वविद्यालय के मिथुन कुमार, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रयास चतुर्वेदी वक्तव्य देंगे। 13 सितंबर को अंग्रेजी एवं फ्रांसीसी भाषाओं पर विमर्श में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के अजय कुमार शुक्ल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की अर्चना कुमार अंग्रेजी पर तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की दीपान्विता श्रीवास्तव वक्तव्य देंगी। कार्यशाला का समापन कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह की अध्यक्षता में किया जाएगा। इस सत्र में विशेष वक्ता के रूप में चीनी भाषा के विशेषज्ञ डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी संबोधित करेंगे। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. आनन्द पाटील कार्यक्रम में धन्यवाद वक्तव्य देंगे।