- प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा
देहरादून (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तराखंड में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन / ईसीसीई) में सुधार के लिए दोस्त एजुकेशन ने उत्तराखंड सरकार के एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग के साथ साझेदारी की है। दोस्त एजुकेशन से ‘ऑपरेशन्स और एम एंड ई’ की डायरेक्टर अरोनी घोष और आईसीडीएस उत्तराखंड के डायरेक्टर प्रशांत आर्य ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इस नवीनतम साझेदारी का उद्देश्य आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं बच्चों के माता-पिता को सशक्त बनाना है। जो ग्रामीण भारत में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपने सफल पूर्व-साक्षरता कार्यक्रमों को लागू करने के लिए दोस्त एजुकेशन इन कार्यकर्ताओं को व्यापक प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करेगा। जिसका उद्देश्य 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना है। इस पहल का उद्देश्य प्रारंभिक साक्षरता के लिए एक मजबूत नींव तैयार करना है, जो बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में प्रवेश करने से पहले स्कूल के लिए तैयार करने हेतु बहुत जरुरी है।
डिजिटल और व्यक्तिगत समर्थन इस साझेदारी के प्रमुख पहलू हैं। दोस्त एजुकेशन के प्रतिनिधि, जो फील्ड पर कार्यरत हैं, समुदाय में माता-पिता की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड के 19,583 आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करेंगे। इन कार्यकर्ताओं को दोस्त एजुकेशन के मोबाइल-आधारित आईवीआर कार्यक्रम, ‘प्रोग्राम परवरिश’ के संबंध में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इससे उन्हें देखभाल करने वालों तक इस कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से पहुँचाने में मदद मिलेगी। यह मोबाइल-आधारित आईवीआर प्रोग्राम बच्चों और उनके परिवार, दोनों की सहायता करता है। यह सप्ताह में चार बार 60 से 90 सेकंड की प्री-रिकॉर्डेड फोन कॉल की सुविधा प्रदान करता है, ताकि घर पर प्रारंभिक शिक्षा को सुदृढ़ बनाया जा सके। परिवार केवल टोल-फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल देकर प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं।
दोस्त एजुकेशन का समग्र दृष्टिकोण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) के महत्व पर जोर देता है, जो बच्चों के ज्ञान-संबंधी, सामाजिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देता है। आईसीडीएस उत्तराखंड के साथ दोस्त एजुकेशन की साझेदारी यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि राज्य में रहने वाले प्रत्येक बच्चे को उच्च गुणवत्ता वाले प्रारंभिक बाल्यावस्था कार्यक्रमों तक पहुँच प्राप्त हो और वे इसका भरपूर लाभ उठा सकें।