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किसान की आय बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना सभी की जिम्मेदारी

सीएसआईआर-सीमैप में मनाया गया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं संगध पौधा संस्थान ने बुधवार को 25वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. आरएम सुंदरम, (निदेशक, आईसीऐआर-आईआईआरआर) बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। डॉ. अश्वेरिया लक्ष्मी (स्टाफ साइंटिस्ट VI, एनआईपीजीआर) सम्मानित अतिथि और डॉ. हितेंद्र पटेल (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीसीएमबी) विशेष अतिथि थे। 

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, व्यापार प्रतिनिधियों, किसानों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और सीमैप कर्मचारियों का स्वागत करते हुए कहा कि “लैब टू लैंड” अनुसंधान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी को सहयोग करना चाहिए और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम किसान की आय बढ़ाने के लिए मिलकर काम करें।

सीएसआईआर-सीसीएमबी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हितेंद्र पटेल ने सांबा महसूरी चावल की उन्नत किस्म के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि यह प्रजाति बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के लिए प्रतिरोधी है और साथ ही साथ इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम है, जो कि मधुमेह के मरीजों के लिए फायदेमंद है। आज इस प्रजाति को उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना जैसे विभिन्न राज्यों में 1.5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि मे इसकी खेती की जा रही है।

एनआईपीजीआर में स्टाफ वैज्ञानिक VI,  डॉ. अश्वेर्य लक्ष्मी ने सीएसआईआर-सीमैप के प्रयसों की सरहाना करते हुए कहा कि औस फसलों की खेती से किसान मुनाफा मूल्य संवर्धन के द्वारा ही प्राप्त कर सकता है और उसमे सीमाप का काफी योगदान किसानो  मिल रहा है। उन्होंने सीएसआईआर-सीमैप के कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और विस्तार कार्यक्रमों की सराहना करते हुए दावा किया कि यह समकालीन किसान चुनौतियों पर काम कर रहा है।

मुख्य अतिथि, आईसीएआर-आईआईआरआर के निदेशक डॉ. आरएम सुंदरम ने सांबा महसूरी, डीआरआर धान-58, डीआरआर धान-60, डीआरआर धान-62 सहित संस्था द्वारा विकसित चावल की किस्मों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इन किस्मों में जैविक और अजैविक तनाव के प्रति प्रतिरोध जैसे गुण होते हैं। साथ ही साथ उत्पादन भी काफी ज्यादा मिलता है और इन्हें कम मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है।

इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के साथ मेसर्स सौभाग्य फ़ाउंडेशन ट्रस्ट की मिस पूजा महरोत्रा एवं अमित महरोत्रा को विकलांग बच्चों एवं जेल में महिला बंदियों एवं गरीब बेरोजगार युवकों को रोजगार देने तथा फूलों से अगरबत्ती बनाने हेतु, मेसर्स वेंकटेश्वरा कोओपरेटिव पावर अँड एग्रो प्रोसेसिंग लिमिटेड, नाशिक, महाराष्ट्र के अनिल कुमार पांडे को जिरेनियम के वेस्ट व फूलों से निर्मित अगरबती व कोण बनाने की तकनीकी का हस्तांतरण किए गया। 

इसके साथ ही सीएसआईआर-सीमैप व श्री गौरव मित्तलए एल्लाइएड़ एंड केमिकल्स प्रा. लिमिटेड, बरेली के साथ समझौता हुआ। इस समझौते के अंतर्गत सीएसआईआर.सीमैप, एल्लाइएड़ एंड केमिकल्स प्राण् लिमिटेड बरेली को तकनीकी व क्वालिटी पौध सामग्री उपलब्ध कराएगा। सीएसआईआर-सीमैप व एमसीएक्स के अर्नव दत्ता के साथ मिंट के तेल की टेस्टिंग के लिए नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमंट साइन किया गया। 

अंत में निदेशक सीएसआईआर-सीमैप ने अतिथियों के साथ सीमैप द्वारा विकसित उन्नत प्रजाति, सिम-पीताम्बरी (हल्दी) और सीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा विकसित चावल की उन्नत सांबा महसूरी प्रजाति के बीजों को बाराबंकी, सीतापुर, प्रतापगढ़, दिल्ली से आए किसानो को वितरित की। 

सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार यादव ने सीएसआईआर-सीमैप द्वारा विकसित प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, हर्बल उत्पादों, दवाओं और उन्नत प्रजातियों के बारे मे विस्तृत पर चर्चा की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. आरके श्रीवास्तव एवम धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आरएस शर्मा ने किया। इस अवसर पर स्वच्छता पखवाड़ा समापन समारोह भी मनाया गया तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।