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उत्तरायणी कौथिंग : बिखरी उत्तराखण्डी गीत संगीत की छटा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। पर्वतीय महापरिषद द्वारा आयोजित उत्तरायणी कौथिंग के चौथे दिन बुधवार को प्रथम स़त्र में विभिन्न क्षेत्रों से आई महिलाओं ने पारम्परिक वेषभूषा में झोड़ा की  प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया। जिसमें कुर्मांचल नगर-1 से हरितिमा पंत, पंत नगर से हेमा डोलिया व सुधा चन्दोला, इन्दिरा नगर से मोहनी धपोला, कुर्मांचल नगर -2 से नीलम जोशी की टीमों ने भाग लिया। अपनी भाषा अपनी बोली प्रतियोगिता का संचालन महापरिषद के संयोजक एवं साहित्यकार केएन चन्दोला ने किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में झूमिगों सीजन -2 छपेली प्रतियोगिता की शुरूआत विभिन्न क्षेत्रों के दल नायको के निर्देशन में प्रस्तुत किये गये। 

कौथिग स्थल पर भगवान बागनाथ जी का प्रतीक मन्दिर भी बना है। कौथिंग में आने वाले दर्शक मन्दिर में भगवान बागनाथ जी का दर्शन करते है। जिसमें नित्य सुबह पूजा होती है। इसके साथ ही कौथिक स्थल पर विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थो के स्टाल्स, उत्तराखण्ड की सुप्रसिद्व बाल मिठाई, दालें, जड़ी बूटी, लोहे के वर्तन, बिकानेरी नमकीन, भुजिया, आचार, अमेरीकन भुट्टे, ऊनी कपड़े, रॉयल एनफील्ड बुलेट, कार, साहित्य की किताबें, साड़ियां, खाने के कई स्टाल्स लगे है।

सांयकालीन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद एमएलसी रामचन्द्र प्रधान व विशिष्ठ अतिथि डा. सूर्य कांत एवं डा. निर्मला पंत का स्वागत महापरिषद के पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ व प्रतीक चिन्ह देकर किया। सांस्कृतिक संध्या पर्वतीय महापरिषद के पूर्व संरक्षक व अध्यक्ष स्व. दिलीप सिह बाफिला के नाम से समर्पित हुई। इस अवसर पर उनके परिजनों को सम्मानित भी किया गया।

सांयकालीन सत्र में उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्व लोक गायक कैलाश कुमार व रंजीत दफोटी व हरेन्द्र कठैयाल की शानदार एकल प्रस्तुतियां आयोजित हुई।