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धर्म के रास्ते पर चलकर ही संभव है मानवता व इंसानियत – रोली शास्त्री 

– श्री बंदी माता मंदिर के 41वें वार्षिक अनुष्ठान (चौथा दिन)

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जो व्यक्ति धर्म के रास्ते पर चलता है, धर्म में लीन हो जाता है वो इंसानियत तथा मानवता की पराकाष्ठा को प्राप्त कर पुरुषोत्तम कहलाता है। “होईहे जब जब धर्म की हानी बाढ़हि असुर अधम अभिमानी, तब तब धरि प्रभु विविध शरीरा हरहि दयानिधि सज्जन पीरा।।” अर्थात जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है। कथा व्यास रोली शास्त्री ने श्री बंदी माता मंदिर डालीगंज में चौथे दिन श्रीमदभागवत कथा में प्रभु श्रीराम जन्म के प्रसंग में उपरोक्त पंक्तियों को बहुत ही मार्मिक तरीके से सुनाई। उन्होंने प्रसंग में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के जन्म के साथ सीता स्वयंवर के प्रसंग को भी बहुत उत्साह के साथ लोगों के बीच रखा। डालीगंज के श्री बंदी माता मंदिर के 41वें वार्षिक अनुष्ठान में सैकड़ों की संख्या मे श्रद्धालु शामिल हुए। सात दिवसीय अनुष्ठान में प्रत्येक दिन श्री सप्तचंडी महायज्ञ, श्रीमदभावत कथा और रासलीला कार्यक्रम हो रहे हैं। मथुरा के रासलीला कलाकार नित्यानंद व साथियों ने भस्मासुर वध के प्रसंगों का प्रभावपूर्ण मंचन किया। भगवान श्री कृष्ण की रासलीला ने गोपियों संग कान्हा की मन मोहक बांसुरी पर हुए नृत्य से पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया। कार्यक्रम श्री पंचदशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र पुरी जी महाराज के सानिध्य और क्षेत्रीय पार्षद रणजीत सिंह के संयोजन में हुआ। श्री बंदी माता मंदिर अखाडा समिति की संगठन मंत्री और पंचदशनाम जूना अखाडा की महंत महंत पूजापुरी, पूर्व पार्षद रेखा रोशनी, बंदीमाता मंदिर अखाड़ा समिति के मंत्री महंत मनोहर पुरी, महंत भूपेंद्र पुरी, पुजारी भास्कर पुरी, यज्ञाचार्य प्रदीप पंचाल सहित अन्य साधुसंत मौजूद रहे। सप्तचंडी यज्ञ बंदीमाता मंदिर महाराज रोशनपुरी, जूना अखाड़ा के थानापुरी महंत राजपुरी, सप्तचण्डी यज्ञाचार्य महंत शिवानन्द पुरी व आचार्य प्रदीप पंचाल सहित अनेक  ब्राह्मणों के सानिध्य में हुआ।