कच्ची मिट्टी चाक पर गढता जाये कुम्हार घिस घिस कर फिर देता है उसे एक नया आकार कोमल मन और अबोध सा बचपन मात पिता के संग बोलना चलना हाथ पकड कर सीखा उनके संग शिक्षा के मन मंदिर मे जब रखा पहला कदम पहली बार वो हाथ छुड़ाकर मात …
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