डॉ. एस. के. गोपाल भारतीय परम्परा में शरणागत की रक्षा केवल सांस्कृतिक आदर्श नहीं, बल्कि इतिहास से लेकर आधुनिक संवैधानिक ढाँचे तक गहराई से स्थापित सिद्धांत है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में स्पष्ट कहा है- “जौ सभीति आवा सरनाई। रखिहहुँ ताहि प्राण की नाई।।’’ अर्थात् जो भयभीत होकर शरण ले, …
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