Wednesday , December 31 2025

हिंदुओं के नरसंहार की भूमि बनता बांग्लादेश, सेक्युलर दलों के मुंह पर लगा ताला

(मृत्युंजय दीक्षित)

अगस्त 2024 में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हिंसक प्रदर्शनों के चलते अपना देश छोड़ना पड़ा जिसके बाद बांग्लादेश में हिन्दुओं पर आक्रमण, हत्या और आगजनी की भीषण घटनाएं हुईं क्योंकि हिन्दुओं को उनकी पार्टी का समर्थक माना जाता है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी। यूनुस के आते ही  पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई  बांग्लादेश में सक्रिय हो गई और भारत तथा हिन्दू विरोधी आग भड़काने में जुट गई। दिसंबर 2025 में भारत विरोधी नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद यह आग और भड़क गई। अब ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर हिन्दुओं की हत्याएं की जा रही हैं। हिन्दू घरों में बाहर से ताला लगाकर आग लगाई जा रही है। इन सभी क्रूर आपराधिक घटनाओं को यूनुस सरकार का मौन समर्थन है जिससे हिन्दू जान बचाकर भाग तक नहीं पा रहा है। बांग्लादेश हिंदू समाज के नरसंहार की भूमि बन चुका है।  

विभाजन के समय  बांग्लादेश में  हिन्दू जनसँख्या 23 प्रतिशत थी। 1974 की जनगणना में यह घटकर   मात्र 13.5 प्रतिशत रह गई थी और अब मात्र 7.96 प्रतिशत है। हिन्दुओं पर हो रहे धार्मिक अत्याचारों का यही  हाल  रहा तो बांग्लादेश में  हिन्दू  पूरी तरह से लुप्तप्राय हो जाएंगे। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022 में अल्पसंख्यकों पर 47 हमले दर्ज किए गए जो 2023 में बढ़कर 302 हो गए और  फिर 2024 में तेजी से बढ़कर 3200 हो गए। दिसंबर माह में ही पहले दीपू चन्द्र दस और फिर अमृत मंडल को भीड़ ने ईशनिंदा के नाम पर बर्बरता से मार डाला। चटगांव मे हिंदू परिवार के घर में आग लगा दी गई। घटनास्थल से एक धमकी भरा नोट मिला जिसमें हिन्दुओं पर इस्लाम विरोधी गतिविधियों का अरोप लगाया गया था और गंभीर परिणाम की चेतावनी दी गई। हादी की मौत का बदला लेने के लिए भीड़ हिन्दुओं  के  खून की प्यासी होकर अनेकानेक हथियारों के साथ  सड़कों पर घूम रही है। बांग्लादेश में प्रतिवर्ष किस न किसी बहाने हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं और अब तक 850 से अधिक हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया जा चुका है। केवल तजा हिंसा में ही अभी तक 200 से अधिक हिन्दुओं की हत्याएं और 170 से अधिक हिंदू महिलाओं  के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध हो चुके हैं। 

प्राप्त आंकड़ों  के अनुसार  बांग्लादेश में 2022 से 2024 के बीच हिन्दू अल्पसख्यकों पर हमलों के मामले आठ गुना बढ़ गए हैं। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हिसा के मामलों में जिस प्रकार से वृद्धि देखी जा रही है वह केवल तात्कालिक कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है अपितु देश की सामाजिक तथा जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने के लिए दशकों से किए जा रहे कट्टर इस्लामी राजनीतिक प्रयासों का परिणाम भी है। 

बांग्लादेश मे हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा की पृष्ठभूमि  बहुत पुरानी है। शेख हसीना की सरकार के समय भी  हमले होते थे, विशेषकर जब हिन्दुओं के पवित्र नवरात्र प्रारंभ होते थे तब ईशनिंदा की झूठी अफवाहें फैलाकर दुर्गा पंडालो पर हमले किए जाते थे और उनमें तोड़ फोड़ की जाती थी। अब अंतर यह आ गया है कि इन घटनाओं  का नियंत्रण  पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई व कट्टरपंथी अराजक तत्वों के हाथ में  आ गया है। 

बांग्लादेश मे ईशनिंदा कट्टरपंथियों का सबसे बड़ा हथियार बन गया है।आठ ऐसे अवसर रहे हैं जब हिंदुओं पर ईशनिंदा के नाम पर भयानक हमले किए गए।  सुनामगंज में एक फेसबुक पोस्ट के बाद परा हिंदू गांव तबाह कर दिया गया। रंगपुर के गंगाचरा में एक हिंदू युवक पर आरोप लगाने के बाद दंगाइयो ने 22 हिंदू घरों  को ध्वस्त कर दिया। खुलना, बारिशाल, मौलवी बाजार, फरीदपुर, चांदपुर और कुमिल्ला जैसे जिलों मे भी हिंदुओं के साथ भयानक घटनाएं घटी हैं । 

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बनने  के बाद से हिन्दुओं की स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है । नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाला वास्तव में हिन्दुओं रक्त  का प्यासा हो गया है जो उसमान हादी के अंतिम संस्कार  की जनसभा में कहता है कि “हादी तुम जहां कहीं भी हो हम तुम्हारे हर सपने को अवश्य पूरा करेंगे।“ यह भाषण यूनुस की खतरनाक मंशा का संकेत कर रहा है। बांग्लादेश इस बात का प्रमाण है कि जहां मुस्लिम आबादी बढ़ जाती है वहां पर अन्य अल्पसंख्यक समाज का रहना दूभर हो जाता है। आज बांग्लादेश में मुस्लिम जनसंख्या 91.08 प्रतिशत हो चुकी है और अल्पसंख्यक हिंदू समाज पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है। 

बांग्लादेश के कट्टरपंथी देश में शरीयत का कानून लागू करना चाहते हैं। वे हिंदू महिलाओं को माथे पर बिंदी न लगाने, साड़ी न पहनने और  बुर्का पहनने को कह रहे हैं  ओैर ऐसा न करने पर बलात्कार तथा परिवार को मारने की घमकियां दे रहें हैं। बांग्लादेश में भारत- बांग्लादेश के मध्य मैत्री को मजबूती प्रदान करने के लिए जिन सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना की गई थी उन्हें  निशाना बनाया जा रहा है।सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दे रहे कलाकारों पर हमला किया जा रहा है। जगह -जगह हिन्दुओं  का नरसंहार कर अस्तित्व समाप्त करने के पोस्टर लगाए जा रहे हैं।  

दुर्भाग्यपूर्ण है कि संयुक्तराष्ट्र महासभा में  उस्मान हादी की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की जाती है किंतु हिन्दू नरसंहार पर चुप्पी साध ली जाती है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, बांग्लादेशी हिन्दुओं  के लिए कहा था कि अगर बाइडेन की जगह उन्हें  चुना गया होता तो आज वहां के हालात ऐसे न होते किंतु ट्रंप अब शांत हैं और अमेरिका से हिंदुओं की हत्याओ की निंदा करने का  कोई बयान अभी तक नहीं आया है। कनाडा की संसद में एक महिला सांसद ने हिंदुओं के पक्ष में आवाज उठाई है, कुछ और देशों  से भी आवाज उठ रही है किंतु वह नाकाफी है। बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार पर दुनिया भर में मानवाधिकार का हल्ला मचाने वालों ने चुप्पी साध ली है।

(मृत्युंजय दीक्षित स्तंभकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं)