दोहा (टेलीस्कोप टुडे डेस्क)। श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने दोहा में आयोजित द्वितीय विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन में भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “सामाजिक प्रगति तभी संभव है जब विकास की नीतियों के केंद्र में जनता हो और विकास सबका साझा प्रयास बने।”
डॉ. मांडविया ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की विकास यात्रा ‘अंत्योदय’ के दर्शन पर आधारित है अर्थात समाज के अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाना। पिछले दस वर्षों में निरंतर सुधारों, कल्याण योजनाओं के एकीकरण और डिजिटल नवाचार के माध्यम से भारत ने लगभग 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है।
उन्होंने बताया कि भारत में आज 11.8 करोड़ बच्चों को पौष्टिक मध्यान्ह भोजन मिल रहा है। 80 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्य सुरक्षा दी जा रही है, 42.5 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर मिला है और 3.7 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को आवास प्रदान किया गया है।
भारत सरकार की स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने युवाओं में आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की भावना को मजबूत किया है। वर्ष 2017-18 से 2023-24 के बीच बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है और महिलाओं की रोजगार दर लगभग दोगुनी हुई है। लाखों महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनी हैं।
श्रम क्षेत्र में सुधारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि 29 श्रम कानूनों को मिलाकर चार नए श्रम संहिता लागू की गई हैं। जिससे संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के कामगारों को गरिमापूर्ण कार्य वातावरण मिल रहा है। भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत हो चुकी है। इसी योगदान के लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) द्वारा “उत्कृष्ट उपलब्धि पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने जन धन, आधार और मोबाइल (JAM) के संयोजन से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से लाभ सीधे जनता तक पहुँचाए हैं, जिससे पारदर्शिता और दक्षता दोनों सुनिश्चित हुई है।
वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिबद्धताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप कार्य कर रहा है। भारत ने पेरिस समझौते के तहत अपने जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले हासिल कर लिया है। आज 40 प्रतिशत से अधिक बिजली गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आ रही है और 2030 तक 2.5–3 अरब टन अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने का लक्ष्य है।
पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध की गई अनुचित टिप्पणियों पर कड़ा आपत्ति जताते हुए डॉ. मांडविया ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग कर गलत जानकारी फैलाना अस्वीकार्य है। पाकिस्तान को अपनी विकास समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए न कि दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप।”
अपने वक्तव्य के समापन में डॉ. मांडविया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र “सबका साथ, सबका विकास” का उल्लेख करते हुए कहा, “सामाजिक प्रगति तभी संभव है जब नीति के केंद्र में लोग हों, नवाचार में समावेशन हो, और विकास एक साझा प्रयास बने।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विकास यात्रा ग्लोबल साउथ के लिए एक प्रेरणादायी मॉडल है और भारत विश्व के साथ अपने श्रेष्ठ अनुभव साझा करने और वैश्विक साझेदारी मजबूत करने के लिए सदैव तत्पर है।
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