लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा त्रिदिवसीय श्री हरि कथा के तृतीय दिवस रविवार को आशुतोष जी महाराजी की शिष्या साध्वी अम्बिका भारती ने भक्त सूरदास के जीवन चरित्र भक्त का भगवन के प्रति प्रेम उजागर किया।

उन्होंने कहा कि आज समाज में प्रेम के विकृत रूप देखने को मिलते है परन्तु शुद्ध प्रेम भक्तो ने ईश्वर से किया। इस प्रेम की पराकाष्टा को परात्प करने हेतु शाश्वत नियम अनुसार भक्त सुदास भी संत वल्भाचार्य की शरण में गए।

उन्होंने गिरिधर गोपाल की लीलाओं का वर्णन भी किया, जो आज भी सबके लिए प्रेरणादाई है। आज भी ईश्वर दर्शन हेतु गुरु की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता के माध्यम से समस्त संसार को समझाते हुए कहते है, तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया। उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः॥ अर्थात ब्रह्म- निष्ठ गुरु की शरण में जाकर उन्हें प्रणाम करके उनके समक्ष ईश्वर दर्शन का प्रश्न रखे। उनसे ब्रह्म ज्ञान (ईश्वर दर्शन) प्राप्त कर उनकी सेवा में लगे। अतः आज आवश्यकता है ऐसे गुरु की खोज की जो ईश्वर का दर्शन मानव ह्रदय में करा दे।
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