लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। इकोसॉफिकल फाउंडेशन फॉर द स्टडी ऑफ लिटरेचर एंड एनवायरनमेंट (EFSLE), नई दिल्ली तथा नेशनल पीजी कॉलेज, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “इकोक्रिटीसिज्म एंड द सोशियो-इकोलिटररी कांशियसनेश: ऐन इंटरडिसिप्लिनरी/मल्टीडिसिप्लिनरी एप्रोच” का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का स्वागत भाषण प्रो. पीके सिंह के द्वारा रामचरितमानस की चौपाइयों के साथ किया गया। विषय का प्रवर्तन LUATA उपाध्यक्ष तथा कार्यशाला के संयोजक प्रो. सिद्धार्थ सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने आम जनमानस के जीवन में प्रकृति के महत्व तथा इस विषय के साहित्य चिंतन के विषय में अपने विचार रखे।

साहित्यकार डा. ऋषिकेश सिंह कार्यशाला सत्र के प्रशिक्षक के तौर पर उपस्थित रहे। उन्होंने ecociticism (पर्यालोचन) को एक बहुआयामी विषय के तौर पर स्थापित करते हुए इसके तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार और उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव भारत सिंह ने ग्रामीण जीवन में पर्यावरण के सहज संबंध को रेखांकित करते हुए पुनः अपनी जड़ों की ओर लौटने का आह्वाहन किया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. देवेंद्र कुमार सिंह ने शुभकामनाएं देते हुए गंभीर रिसर्च के तरह उन्मुख होने की तरफ बल दिया और नई शोध पत्रिका के लिए बधाई दी।

कार्यशाला उपरांत डा. भारती राय ने फाउंडेशन के भविष्य से संबंधित महत्वपूर्ण घोषणाएं की। प्रो. सिद्धार्थ सिंह को EFSLE के उत्तर पूर्व जोन (बिहार, उत्तर प्रदेश तथा झारखंड) का प्रमुख बनाया गया है। इस अवसर पर “पर्यलोचन” नामक अर्धवार्षिक द्विभाषीय समकक्ष-समीक्षित मानविकी पत्रिका के संचालन की घोषणा की गई। साथ ही नेशनल पीजी कॉलेज और इकोसोफिकल के मध्य समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
डा. राय ने इस विषय पर भविष्य की कुछ आने वाली परियोजनाओं की भी घोषणा की। जो भारत के पारिस्थितिकी इतिहास, पर्यावरण-आलोचनात्मक ग्रंथों का अनुवाद, इकोम्यूजिकोलॉजी, जनजातीय और स्वदेशी संस्कृति तथा पारिस्थितिक भाषाविज्ञान और संज्ञानात्मक अभिग्रहण आदि विषयों को केंद्र में रख कर शोध कार्य किए जायेंगे।
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