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गणेश चतुर्थी पर इस बार खास बन रहे तीन योग : आचार्य देव

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भगवान गणेश पूजा की महिमा हम सब जानते हैं, जब भी कोई बड़ा काम शुरू किया जाता है या घर पर मंगलकार्य होते हैं तो सबसे पहले गणेश पूजन का विधान है। गणेश जी शुभ-लाभ प्रदान करते हैं और वो ज्ञान-सद्बुद्धि के प्रदाता हैं।

डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने बताया कि पुराणों के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था। उनके जन्म के उपलक्ष में हिन्दू परिवारों में दस दिवसीय उत्सव आयोजित किया जाता है। जिसे गणेश चतुर्थी या विनायक संकष्टी के नाम से जाना जाता है।

आचार्य देव ने कहाकि गणेश चतुर्थी उत्सव पूरे दस दिनों तक चलता है। इस साल 2024 में ये उत्सव 7 सितम्बर को शुरू हो रहा है और मूर्ति विर्सजन 17 सितंबर को है। गणेश चतुर्थी के दिन भक्तजन गणेश जी की सुंदर प्रतिमाओं को घर लाते हैं और दोपहर में उनका विधिवत पूजन करते हैं। इस साल पूजा का समय सुबह 6:30 बजे शुरू होगा और दोपहर 2:30 बजे समाप्त होगा।

गणेश चतुर्थी 2024 पूजा तिथि के आरंभ का समय 6 सितंबर को दोपहर 3:01 बजे से शुरू हो रहा है जबकि गणेश चतुर्थी पूजा तिथि का समापन समय 7 सितंबर शाम 5:37 बजे है।

आचार्य देव ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन बहुत से शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। 7 सितंबर के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहा है, इस दिन दोपहर 12:34 से सुबह 06:03, 08 सितंबर तक ये योग रहेगा। साथ ही रवि योग का निर्माण भी हो रहा है। रवि योग 6 सितंबर की सुबह 09:25 से लेकर 7 सितंबर को दोपहर 06:02 से 12:34 तक रहेगा, इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण भी हो रहा है। यह योग रात 11.15 मिनट तक रहेगा।

वामा एप के संस्थापक डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने कहा कि आमतौर पर गणेश पूजा मध्याह्न काल में की जाती है क्योंकि भगवान गणेश का जन्म इसी समय हुआ था। हिन्दू काल गणना में दिन को 8 बराबर भागों में बाँटा जाता है जिन्हें प्रहर कहा जाता है। पूर्वाह्न, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल, प्रदोष, निशिथ, त्रियामा एवं उषा, ये सभी प्रहर हैं। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति को मध्याह्न चरण में स्थापित किया जाता है जिसके बाद उनकी पूजा की जाती है।

परंपरा के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दौरान विशिष्ट समय पर चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति चंद्रमा को देखता है, तो उस पर चोरी का आरोप लगता है और ये पाप तब तक रहता है, जब तक कि वह एक विशिष्ट मंत्र का जाप न कर ले। ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने इस दिन चन्द्रमा को देख लिया था जिसके फलस्वरूप उनपर एक बहुमूल्य रत्न चुराने का आरोप लगा। इसलिए इस मान्यता का ख़ास ध्यान रखें और चन्द्रमा दर्शन न करें।