हिंदी विवि में मनाया गया संस्कृत दिवस
वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में साहित्य विद्यापीठ के संस्कृत विभाग द्वारा सोमवार को महादेवी वर्मा सभागार में संस्कृत दिवस समारोह आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि विरासत के रूप में संग्रहित ज्ञान संस्कृत में सुरक्षित है। हमें संस्कृत में व्याप्त अपार ज्ञान राशि को प्रसारित करने के लिए संकल्पबद्ध होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी पुरातन परंपरा से निरंतर परिचित होने के लिए संस्कृत का ज्ञानार्जन करना चाहिए।
इस अवसर मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन संबोधित करते हुए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने कहा कि संस्कृत दिवस वाणी का पर्व है। संस्कृत वाणी का भाषिक स्वरूप भी है। संस्कृत का स्वरूप छांदस के रूप में था और वेदों में छांदस का ही प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि ऋषियों ने मनुष्य की भाषा के रूप छांदस भाषा को ही प्रतिष्टित किया। संस्कृत की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सबसे धनी भाषा है जिसमें शब्दों का भंडार अपार है। यह शब्दों की अनंत संभावनाओं से यह अमरत्व की भाषा है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में जामिया-मिल्लिया-इस्लामिया, नई दिल्ली के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. धनंजय मणि त्रिपाठी ने कहा कि स्व की शिक्षा ही संस्कृत का प्रमुख लक्ष्य है। यह भाषा सर्वांग पक्ष को लेकर चलती है। संस्कृत साहित्य विविध कलाओं को समाहित किए हुए है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संस्कृत के महत्व को रेखांकित किया।
साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता, संस्कृत विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. अवधेश कुमार ने प्रास्ताविकी में कहाकि वाड़मय की दृष्टि से संस्कृत महत्वपूर्ण भाषा है। रामायण एवं महाभारत जैसे महान ग्रंथ संस्कृत में है। कम शब्दों में बड़ी बात कहने का सामर्थ इस भाषा में है। संस्कृत साहित्य ज्ञान की परंपरा को समाहित करता है। मंगलाचरण डॉ. वागीश राज शुक्ल ने तथा सरस्वती वंदना साहिब देव शर्मा ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण संस्कृत विभाग के प्रभारी एवं सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रदीप ने किया। संचालन संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर जगदीश नारायण तिवारी ने किया तथा भारतीय भाषा विभाग के सहायक प्रोफेसर राम कृपाल ने आभार माना। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
कार्यक्रम में प्रो. बंशीधर पाण्डेय, प्रो. जनार्दन कुमार तिवारी, डॉ. जयंत उपाध्याय, डॉ. वरूण कुमार उपाध्याय, डॉ. कृष्णचंद पाण्डेय, डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. परिमल प्रियदर्शी, डॉ. रणंजय कुमार सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. सूर्यप्रकाश पाण्डेय, डॉ. सूरजीत कुमार सिंह, डॉ. शैलेश कदम, बी. एस. मिरगे आदि सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।