Tuesday , September 17 2024

मातृभूमि और हम

आजादी हमारी हमसे कहीं खो ना जाए
पास का पड़ोसी ऐसे बीज बो ना जाए
पुरखों की कमाई कहीं हाथ से न जाए
दूर से ललचाने वाली चीज हो ना जाय
प्राणों से भी प्यारी है धरोहर हमारी
घर-घर में इस बात को बताओ साथियों आजादी……………………
दुश्मन वो हमारा अभिमानी हो ना जाए
लाल खून ठंडा श्वेत पानी हो न जाए
देर कहीं मौत की निशानी हो न जाए
बच्चों को सुनाने की कहानी हो न जाए
आओ उसका हम गिराहबान थाम ले
सभी मिलकर हाथ तो बढ़ाओ साथियों
आजादी……………………
बेबस मां के जख्मी शरीर के लिए
असह्य वेदना की पीर के लिए
सदियों से लटकती शमशीर के लिए
तोड़ने गुलामी की जंजीर के लिए
बाजी लगा जान की कुर्बान हो गए
ना उन शहीदों को भूलाओ साथियों
आजादी……………………
कूद गए आग में परवाने हो गए
मौत के कफन के मस्ताने हो गए
खोल छाती गोली के निशाने हो गए
चूम फंदे फांसी के दीवाने हो गए
उनसे कल हमारी मुलाकात हो न जाए
सोए हुए लोगों को जगाओ साथियों
आजादी……………………
देश पर निछावर जो बलिदानी हुए हैं
नाम उनके भूली सी कहानी हुए हैं
धिक्कार हमें शर्म से ना पानी हुए हैं
झूठ की जवानी से अभिमानी हुए हैं
आने वाले वक्त की तस्वीर है काली
रेत नहीं मुट्ठी में दबावों साथियों
आजादी……………………
आओ आज उनको हम नमन कर ले
नाम उनके श्रद्धा से मनन कर लें
आंसुओं के फूलों को अर्पण कर दें
देश पर निछावर जानो तन कर दे
खून से सींचा बाग कहीं उजड़ न जाए
सौगंध इस मिट्टी की उठाओ साथियों
आजादी……………………
एकता की शक्ति का गुणगान हुआ है
हिम्मत से सफल हर इंसान हुआ है
खून अभी ठंडा ना ईमान बिका है
आप ही के बल पर हिंदुस्तान टिका है
दुश्मन की मजाल क्या जो देखे इस ओर
बंद मुट्ठी की ताकत पहचानो साथियों
आजादी ………………….

संजय वर्मा
D- 98 हरिहर नगर लखनऊ