- आपात स्थिति को देखते हुए मेदांता की टीम ने औपचारिकताओं के बदले इलाज को दी प्राथमिकता
- अनुभवी डॉक्टर और आत्धुनिक चिकित्सा व्यवस्था के चलते सर्पदंश के लक्षण पहचान समय पर हुआ सही इलाज
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। फतेहपुर के एक छोटे से गाँव के रहने वाले अनुज सिंह (नाम बदला हुआ) एक रात जब सोने के लिए गए तो उन्हे पता नहीं था कि वे अपने आपको अपनी जिंदगी की जंग लड़ते हुए पाएंगे। अनुज, ग्रामीण भारत के उन कई लोगों में से एक हैं जो मानसून के मौसम में रात के समय टहलने निकले थे और फिर सोने चले गए। लेकिन, जो एक सामान्य सी लग रही रात, अचानक भयानक विपदा में बदल चुकी थी।
अगली सुबह, जब अनुज उठे तो उन्हे तेज पेट दर्द और बेकाबू उल्टी होने लगी। अनुज के भाई अतुल सिंह ने बताया “अनुज के शरीर में दिखाई दे रहे लक्षण तेजी से बिगड़ते गए। हम उन्हें प्रयागराज के एक अस्पताल ले गए, लेकिन हमें कोई सहायता नहीं मिली। हम एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ते रहे, अनुज की हालत लगातार खराब होती गई। जल्द ही, वह सांस लेने में हांफने लगा। उनकी जिंदगी अधर में लटकी हुई थी, तब उन्हें मेदांता लखनऊ रेफर कर दिया गया। तब हमने किसी तरह एक एंबुलेंस का इंतजाम किया और तेजी से लखनऊ की ओर बढ़ चले।”
मेदांता लखनऊ पहुंचने पर अनुज की हालत गंभीर थी। उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया। मेदांता की इमरजेंसी टीम तुरंत हरकत में आ गई, और अनुज पर मंडराते संकट के समय में आशा की एक किरण बनकर उभरी।
अपने भाई के प्राणों पर आए संकट को देखते हुए, अतुल मेदांता के डॉक्टरों द्वारा तुरंत चिकित्सा सहायता पहुंचाने पर बेहद भावुक हो गए। वे बताते हैं, “हम कुछ देर के लिए मेदांता के डॉक्टरों द्वारा मेरे भाई की जान बचाने के लिए की गई त्वरित कार्रवाई पर विश्वास नहीं कर सके। उनका एकमात्र लक्ष्य भाई की स्थिति को स्थिर करना और यह समझना था कि क्या सही करना है। प्रशासनिक कर्मचारियों सहित सभी ने सुनिश्चित किया कि मेरे भाई का इलाज पहले शुरू हो और लिखा पढ़ी और अन्य सभी औपचारिकताओं को बाद में पूरा किया दिया जाए। उस दिन हमें जो सहयोग मिला, उसे हम जीवन भर नहीं भूल सकते हैं।”
उस शाम मेदांता आपातकालीन विभाग में ड्यूटी पर तैनात न्यूरोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. विभोर उपाध्याय ने कहा कि अनुज की हालत और लक्षण देखकर उन्हें सांप के काटने का बहुत अधिक संदेह था और इसलिए उन्होंने अनुज को तुरंत जीवनरक्षक एंटी वेनम दिया।
“करैत विशेष रूप से मानसून में सक्रिय रहने वाला एक आम सांप होता है। करैत अपने “अदृश्य काट” के लिए कुख्यात हैं जो कोई निशान या सूजन नहीं चोदता। अनुज के देर से आए लक्षण करैत के जहर के लक्षण थे और उन्होंने मेरे संदेह को मजबूत कर दिया। अनुज का मामला आम सांपों के काटने के बारे में सामाजिक जागरूकता की जरूरत के महत्व को बताता है।”
डॉ. विभोर उपाध्याय ने बताया, “करैत सांप की मायावी प्रकृति समय पर चिकित्सा सहयाता मिलने की जरूरत को बेहद महत्वपूर्ण बनाती है। भारत में सांप के काटने से होने वाली कुल मौतों में से लगभग दो-तिहाई मौतें करैत के कारण होती हैं, और यह मौतें अक्सर देरी से इलाज, एंटी वेनम और वेंटिलेटर जैसे आवश्यक संसाधनों तक पहुंच की कमी के कारण होती हैं।”
डॉ. विभोर उपाध्याय द्वारा किए इस डायग्नोसिस ने एक सकारात्मक प्रभाव दिखाया। अनुज की स्थिति सुधरने लगी। उन्हें वेंटीलेटर से शिफ्ट करने में तीन दिन लगे, जिसके बाद कई दिनों तक निगरानी में स्थिर प्रगति पाई गई। एक सप्ताह के भीतर, अनुज को डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया। आज, वह एक सामान्य जीवन जी रहे है, जो मेदांता लखनऊ में तेजी से कार्रवाई और मल्टी स्पेशलिटी टीम द्वारा अपना कर्तव्य प्रभावी ढंग से पूरा करने का परिणाम है।
डॉ. उपाध्याय ने कहा कि, “हमारी टीम को इस तरह की आपात स्थितियों को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें एक प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, जो औपचारिकताओं से पहले रोगी की देखभाल को प्राथमिकता देता है। अनुज का मामला सभी संभावित निदानों (डायग्नोसिस) पर विचार करने के महत्व को दर्शाता है और यह उजागर करता है कि मेदांता हॉस्पिटल जैसी सुसज्जित चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता है जो बिना किसी देरी के जीवनरक्षक उपचार प्रदान कर सकें।” करैत से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए, विशेष रूप से मानसून के मौसम में, पेट दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, खासकर यदि ये लक्षण रात को बाहर बिताने के बाद नजर आएं तो।”