लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। हमारे देश में ऐसी जड़ी बूटियां और प्राकृतिक संसाधन है जो कई गंभीर बीमारियों के इलाज में अत्यधिक कारगर हैं। लेकिन हम संसाधनों का संरक्षण तथा पेटेंट नहीं कराएंगे तो हमें सदैव ही विदेशी दवाइयों पर निर्भर रहना होगा। शुक्रवार शाम सीआईआई की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में उक्त बातें जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के प्रोफेसर डा. आनंद रंगनाथन ने कहीं।
उन्होंने कहा कि देश ने पिछले दशकों में काफी विकास किया है। आज हर सेक्टर में भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अग्रसर है। भारत की जीडीपी बीते वर्षों के मुकाबले लगातार बढ़ रही है। लेकिन यह विकास दीर्घकालिक और सतत तभी है जब हम प्रत्येक भारतीय इस विकास की यात्रा में अपना योगदान दें।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की सरकार अपने संसाधनों को यदि मुफ्त में बांटने लगेगी तो वह लम्बे समय तक आर्थिक बोझ को सहन नहीं कर सकेगी।
संवाद कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के सवालों का जवाब देते हुए डा. आनंद रंगनाथन ने कहा कि आज भी देश में ऐसे हजारों नियम व कानून मौजूद हैं जो औद्योगिक इकाइयों पर लागू तो होते हैं, परंतु मौजूदा परिपेक्ष में उनका औचित्य समाप्त हो चुका है। अतः सरकार को चाहिए कि ऐसे नियम और कानूनों का पुनरीक्षण कर उन्हें समाप्त करें।
संवाद कार्यक्रम में सीआईआई उत्तर प्रदेश की अध्यक्षा स्मिता अग्रवाल, सह अध्यक्षा उपासना अरोड़ा, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष आकाश गोयनका मुख्य रुप से उपस्थित थे।
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