लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। यदि आपके भीतर कुछ करने का हौसला है तो आप आसमान भी छू सकते हैं और नहीं है तो मामूली लक्ष्य भी पा पाना नामुमकिन है। यह कहना है समर्पण इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरा मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य डा. दीप्ति शुक्ला का। वह इस पद पर जनवरी 2021 से हैं और उनकी देख-रेख में समर्पण इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरा मेडिकल कॉलेज प्रदेश का एकमात्र कॉलेज बना जिसे हर इकाई में और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा 97 फीसद के साथ “ए” ग्रेड मिला है।
डा. दीप्ति कहती हैं कि वह अपने परिवार की पहली लड़की हैं जिन्होंने नर्सिंग का पेशा अपनाया। पिता का अपना व्यवसाय था और माँ सामाजिक कार्यकर्ता थीं, उन्होंने पूरा सहयोग किया। विवाह के लिए रिश्ते आने शुरू हुए थे तो पहली शर्त होती थी कि नर्सिंग छोड़ दें तो शादी कर लेंगे लेकिन मैनें ऐसा नहीं किया। मुझे अभी बहुत कुछ करना था, बुलंदियों को छूना था। मैंने माता पिता से कहा कि चाहे शादी न हो लेकिन मैं नर्सिंग नहीं छोड़ूँगी और मैनें अपने पेशे को जारी रखा। साल 2009 में मेरा विवाह हो गया और मेरे दो बच्चे हैं। मेरे पति भी जाने माने विश्वविद्यालय में नर्सिंग विभाग के डीन हैं।
डा. दीप्ति घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभाती हैं। उन्होंने नर्सिंग के पेशे में आगे जाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनका कहना है कि अगर आप किसी काम को करना चाहते हैं और मेहनत करते हैं तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता, अभी तो यह शुरुआत है।
डा. दीप्ति ने अपना करियर जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़री डिप्लोमा के साथ शुरू किया था। कुछ साल नर्सिंग की सेवा देने के बाद उन्होंने पढ़ाई फिर से शुरू की और पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग की। इसके बाद ऑब्स्टेट्रिक्स एवं गायनेकोलॉजी में पीएचडी की। नर्सिंग के क्षेत्र में कई आविष्कार करने के कारण डा. दीप्ति नर्स आविष्कारक के रूप में विख्यात है। वह 18 साल से इस क्षेत्र में हैं। इन 18 सालों में उन्होंने कई अस्पतालों और कॉलेजों में काम किया है और उन्हें कई बार सर्वश्रेष्ठ नर्स एवं सर्वश्रेष्ठ शिक्षक से नवाजा गया। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं।
डा. दीप्ति ने चार कॉपिराइट्स एवं छह आविष्कार किए हैं। वह पहली नर्स हैं जिन्होंने फोरेंसिक नर्सिंग में कई कोर्स करने के बाद उसमें वह पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने अमेरिका के यूडॉक्सिया विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्टरेट किया है। वह नेशनल क्वालिटी एश्योरेन्स स्टेंडर्ड (एन्कवास) की एकस्टर्नल असेसर भी हैं।
डा. दीप्ति यह संदेश देती हैं कि आज के समय नर्स का पेशा केवल सेवा तक ही सीमित नहीं है बल्कि और इसके आगे भी है। नर्सें बड़ा सपना देखें और इसे पूरा करने के लिए मेहनत करें। एक जगह पर संतुष्ट न हों बल्कि नए अवसर खोजें।
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