भारतीय स्टेट बैंक पेंशनर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में खूब लगे ठहाके
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारतीय स्टेट बैंक पेंशनर्स एसोसिएशन लखनऊ अंचल द्वारा रविवार बैंक के मुख्य शाखा परिसर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि स्टेट बैंक लखनऊ मंडल के मुख्य महाप्रबन्धक शरद एस. चांडक के साथ उपमहाप्रबंधक आर. नटराजन, स्टेट बैंक पेंशनर्स एसोसिएशन के महामंत्री अतुल स्वरूप, मंडल अध्यक्ष दिनेश चन्द्रा एवं केके सिंह (पूर्व महामंत्री) ने दीप प्रज्जवलित कर कवि सम्मेलन का शुभारम्भ किया।

प्रारम्भ में बलिया से आये गीतकार महेश चन्द्र गुप्त ‘महेश‘ ने अपनी रचना ‘‘किया है तुमने मुझको तंग, पिलाकर ठंढाई में भंग। सुर्ख होने लगे मेरे गाल, ए रसिया मल दो आज गुलाल” से दर्शकों को सराबोर कर दिया। प्रसिद्व व्यंगकार श्यामल मजूमदार ने कवि सम्मेलन का संचालन करते हुये व्यंग्य परोसा। उन्होंने “सियासत में अंधी कमाई न होती, तो चेहरे पे उनके लुनाई ना होती। अगर कुत्ता उनका गटर में न गिरता, सीवर की जल्दी सफ़ाई न होती” सुनाकर तालियां बटोरी।

कवयित्री शशि श्रेया ने ‘‘शयन रत मन जगाना आ गया है, विजय का पथ बनाना आ गया है, हवा के रूख की अब चिंता नही है, मुझे दीपक जलाना आ गया है” सुनाया। वहीं बाराबंकी के हास्य कवि, संदीप अनुरागी सहित अन्य कवियों ने अपनी रचनायें प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। अंत में अंचल अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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