देवी अहिल्या बाई की देन है महेश्वरी साड़ियां, ये है विशेषताएं

ललित कला अकादमी अलीगंज में महेश्वर की बुनाई पर हुआ व्याख्यान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। ललित कला अकादमी अलीगंज में संत रविदास म.प्र. हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लि. द्वारा हस्तकला प्रदर्शनी का आयोजन 21 फरवरी से 3 मार्च तक किया गया है। इस दौरान व्याख्यानों की श्रृंखला आयोजित की गई है। इस कड़ी में बुधवार को विश्व प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ी पर व्याख्यान हुआ। महेश्वरी साड़ियां देवी अहिल्या बाई की देन है। उनकी प्रेरणा से साड़ी पर महेश्वर के किले की डिजाइने, नर्मदा के मनोरम घाट उकेरे गए।

देवी अहिल्याबाई होल्कर समकालीन महेश्वर की साड़ियां लेकर आए मो. असलम अंसारी (वरिष्ठ बुनकर) ने बताया कि महेश्वर शहर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में है। महेश्वर का सम्बंध हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन से है जिसने रावण को पराजित किया था। महान देवी अहिल्याबाई होल्कर के काल 1764 – 1795 में सूरत बुनकरों ने “महेश्वरी साड़ी” का देश विदेशों तक में पहुंचा दिया।

कहा जाता है नर्मदा के पास तांबें की सुइयां पाई गई थी जिसे वहां के “रहवासी” महारानी के पास लेकर गए तो महारानी अहिल्याबाई ने उन्हें पारंपरिक बुनाई की परंपरा को नए अंदाज में तैयार करने के लिए प्रेरित किया। आज भी विवाह समारोहों में बहु का स्वागत और विदाई महेश्वरी साड़ी में करने की प्रथा है। मृगनयनी प्रदर्शनी के संयोजक अरविंद शर्मा ने बताया कि इस प्रदर्शनी का मकसद मध्य प्रदेश की हस्तकलाओं का प्रचार प्रसार और लोगों को मूल कलाकारी से परिचित करवाना है।