कॉन्क्लेव में उद्यमिता और ग्रामीण विकास पर हुआ मंथन
– कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने कहा, इकोसिस्टम बनाने से उद्यमिता और नवाचार में आगे आयेंगे बच्चे
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय एवं आईआईटी रोपड़ और एंटरप्रेन्योरशिप एंड रूरल डेवलपमेंट सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में उद्यमिता और ग्रामीण विकास पर एक दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन बुधवार को किया गया। कॉन्क्लेव में उद्यमिता और ग्रामीण विकास पर मंथन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा ने कहा कि भारत का समृद्ध अतीत रहा है। इस देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। तब हर गांव सम्पन्न हुआ करते थे। लोगों के पास रोजगार की कोई कमी नहीं थी। हर हाथ के पास काम था।
उन्होंने बताया कि उस दौर में हर क्षेत्र की अपनी एक विशेषता थी। लोग किसी न किसी उद्यम में लगे थे। लेकिन धीरे-धीरे बड़ी ही चालाकी से गुलामी के दौरान इस देश के लोगों को नौकरी का आकर्षण दिया गया। हालात ये हो गये कि लोग स्वरोजगार को छोड़कर नौकरी को ही बेहतर समझने लगे। लेकिन सच्चाई ये है कि हर साल करोड़ों की संख्या में निकलने वाले युवाओं को नौकरी दे पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं है। ऐसे में उद्यमिता और नवाचार ही एक रास्ता है जिसके जरिये हम पूरी तरह से आत्म निर्भर बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के पूर्ण विकास में आत्मनिर्भरता सबसे बड़ी कड़ी है। इस दिशा में वर्तमान केंद्र और राज्य सरकार लगातार कार्य कर रही है। विभिन्न योजनाओं के जरिये उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण आबादी के लिए तमाम अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। जिससे कि बिना विस्तापन किये गांव में ही रोजगार का सृजन हो सके। इसके लिए मूलभूत सुविधाओं के साथ आधुनिक तकनीक के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांव हमारे देश की आत्मा है। इस इसलिए गांव के विकास से ही देश का विकास होगा।
कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने कहाकि सशक्त भारत के मिशन के लिए जरूरी है हमारे गांव भी सशक्त हों। इसके लिए अंतिम इकाई तक को उद्यमिता और नवाचार के लिए प्रेरित करना होगा। गांव के स्कूलों में उद्यमिता को बढ़ावा देना होगा। बच्चों में शुरू से ही नवाचार और उद्यमिता की भावना को विकसित करना पड़ेगा। ऐसे इकोसिस्टम को बनाने की जरूरत है जो बच्चों को आगे बढ़ाने में मदद करे।
विशिष्ट अतिथि एमएलसी अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि हाल ही में प्रदेश सरकार ने बजट पेश किया, जिसमें एक बड़ा हिस्सा शिक्षा और कौशल विकास के लिए है। इसका असर आने वाले समय में जरूर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आने के बाद पाठ्यक्रमों में जरूरत के मुताबिक बदलाव की गुंजाइश है। इससे निश्चित ही उद्यमिता और नवाचार को स्कूली शिक्षा के माध्यम से बच्चों तक पहुंच बनेगी। ग्राम प्रधान अपने गांव में इस दिशा में कार्य कर सकते हैं। सामान्य व्यक्ति के जीवन को आसान बनाने के लिए जो समाधान युवा खोजते हैं असल में वही स्टार्टअप बन जाता है। उन्होंने कहा कि हमें यह संकल्प लेना होगा कि बच्चों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।
ईआरडीसी के हेड चेतन सहोर ने उद्यमिता और ग्रामीण विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरह उद्यमिता और ग्रामीण विकास के माध्यम से देश आत्मनिर्भर बन सकता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम नौकरी करने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनें। क्योंकि हर साल करोड़ों की संख्या में युवा पढ़कर निकल रहे हैं। ऐसे में सबको नौकरी मिल पाना संभव नहीं है। इसलिए हमारे पास नवाचार और उद्यमिता ही एक रास्ता है जिससे आत्मनिर्भर बन हम देश को सशक्त बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्रामीण जीवन को उद्यमशील बनाना होगा।
इसके अलावा तीन तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने उद्यमिता के विभिन्न आयामों पर चर्चा किया। उद्यमिता, रोजगार और ग्रामीण विकास के लिए जागरूकता और सहयोग पर मंथन हुआ। वहीं उद्यमिता के लिए नॉलेज ट्रांसफर के तहत इनोवेटिव स्ट्रेटजी, तीन फेज में उद्यमिता विकास प्रोग्राम और प्रचार प्रसार पर भी बात हुई। इसके अलावा स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए विशेषज्ञों, सफल स्टार्टअप सहित अन्य लोगों से जुड़ाव पर भी प्रकाश डाला गया। गांव और स्कूल स्तर पर स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित करने पर भी अनुभव साझा किये गये। साथ ही ग्राम प्रधानों और स्कूल कॉलेज के प्रधानाचार्य और विभिन्न संस्थाओं के प्राचार्य और निदेशक से उद्यमिता और ग्रामीण विकास पर संवाद किया गया। कार्यक्रम का संचालन पंजाब विश्वविद्यालय की डॉ. निधि गौतम प्रभाकर ने किया। जबकि धन्यवाद सहायक कुलसचिव आयुष श्रीवास्तव ने दिया। इस मौके पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ओपी सिंह सहित अन्य अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी, छात्र और विभिन्न गांवों के ग्राम प्रधान मौजूद रहे।