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भारत के विकास में लाभकारी है 5 डी : राष्ट्रपति

आईआईआईटी लखनऊ के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति 

जताई उम्मीद: जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूरा कर रहा हो, तब आने वाली पीढ़ियां ऐसे भारत में जन्म लें, जो संपन्न-समृद्ध हो और जहां विकास समावेशित हो

बोलींः यूपी सरकार ने भी प्रमुख शहरों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने के लिए योगदान प्रारंभ किया है

अपील-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ इमोशनल इंटेलिजेंस को भी महत्व दें

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के पास 5 डी (डिमांड, डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डिजायर व ड्रीम) है, जो विकास की यात्रा में लाभकारी है। हमारी अर्थव्यवस्था एक दशक पहले 11वें पायदान पर थी। आज पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2030 तक यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है। भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। यहां 55 फीसदी से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उमर की है। भारत प्रगतिशील व लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं। हमारा सपना है कि 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बने। आप भी न केवल इस विजन के भागीदार बनें, बल्कि इसे पूरा करने के लिए सर्वस्व लगा दें। हमें प्रतिज्ञा करनी होगी जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूरा कर रहा हो, तब आने वाली पीढ़ियां ऐसे भारत में जन्म लें, जो संपन्न-समृद्ध हो और जहां विकास समावेशित हो। 

उक्त बातें राष्ट्रपति ने मंगलवार को कहीं। वे भारतीय सूचना प्रौद्यागिकी संस्थान (आईआईआईटी) लखनऊ के द्वितीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहीं। उन्होंने मेधावियों को डिग्री व मेडल प्रदान करते हुए पदक पाने वाले विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। 

संस्थान के आदर्श वाक्यों के अनुकूल आचरण कर देश के समृद्ध भविष्य के लिए कार्य करें

राष्ट्रपति ने ‘विद्यां ददाति विनयम्, विनयाद् याति पात्रताम। पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम श्लोक सुनाया और कहा कि विद्या विनय देती है और विनय से पात्रता आती है। पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है। उन्होंने आशा जताई कि संस्थान के आदर्श वाक्यों के अनुकूल आचरण करते हुए नैतिकता के साथ समाज व देश के सशक्त व समृद्ध भविष्य के लिए कार्य करेंगे। 

मानव जीवन को आसान बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो रहा एआई

महामहिम ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। ऑर्टिफिशयल इंटेलिजेंस मानव जीवन को आसान बनाने व उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साधन साबित हो रहा है। अपने व्यापक अनुप्रयोग के साथ एआई और मशीन लर्निंग जीवन के सभी पहलुओं को छू रहा है। हेल्थ केयर, एजूकेशन, एग्रीकल्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट मोबिलिटी व ट्रांसपोर्टेशन आदि क्षेत्रों में एआई और मशीन लर्निंग हमारी दक्षता व कार्यक्षमता में व्यापक स्तर पर सुधार के अनेक अवसर प्रस्तुत कर रहा है। 

एआई प्रयोग के साथ उत्पन्न नैतिक दुविधाओं का निराकरण सबसे पहले हो

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने 2018 में एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित की थी। यूपी सरकार ने भी प्रमुख शहरों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने के लिए योगदान प्रारंभ किया है। एआई व अन्य समकालीन तकनीकी विकास असीमित, अभूतपूर्व डवलपमेंटल एवं ट्रांसफरमेटिव संभावनाएं प्रदान करता है। आवश्यक है कि एआई प्रयोग के साथ उत्पन्न नैतिक दुविधाओं का निराकरण सबसे पहले हो। चाहे आटोमेशन के कारण उत्पन्न रोजगार की समस्या हो या आर्थिक असमानता की चौड़ी होती खाई या फिर एआई के परिणामों में आने वाले मानवीय पूर्वाग्रह, हमें हर समस्या के लिए रचनात्मक हल ढूंढना होगा। सुनिश्चित करना होगा कि एआई के साथ इमोशनल इंटेलिजेंस को भी महत्व दें। एआई साध्य नहीं, बल्कि साधन है। जिसका उद्देश्य मानव जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में हो। हमारे प्रत्येक निर्णय से सबसे निचले पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी लाभान्वित हो। 

आप उत्कृष्टता व सर्वश्रेष्ठता के ऐसे आयाम स्थापित करें, जो स्वयं में मापदंड हों

राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईआईटी लखनऊ को संसद के अधिनियम द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपार्टेंस का दर्जा दिया गया है। यह योग्यता, सामर्थ्य व दक्षता का परिचायक है। देश और समाज आशा करता है कि आप शिक्षा के क्षेत्र में न केवल सर्वोच्च मानकों पर खरे उतरेंगे, बल्कि उत्कृष्टता व सर्वश्रेष्ठता के ऐसे आयाम स्थापित करेंगे, जो स्वयं में मापदंड होंगे। इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी व बिजनेस जैसे विषयों में आईआईआईटी द्वारा प्रदान की जाने वाले शिक्षा, शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक व शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी विद्यार्थी शैक्षणिक जगत के शीर्षतम पायदान पर खड़े हैं।

  

भारतीय परंपरा को बुनियाद बनाकर क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञानार्जन की सोच सकारात्मक कदम

राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईआईटी को भारतीय परंपरा को बुनियाद बनाकर क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञानार्जन की सोच सकारात्मक कदम है। यह भाषायी सीमाओं की वजह से ज्ञान संवर्धन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में बड़ा कदम साबित होगी। अनुसंधान व विकास को मूर्त रूप देकर समाज तक पहुंचाने व वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के समाधान योग्य बनाने के लिए इंक्यूबेशन सेंटर की (सीआरईएटीई)  की स्थापना सराहनीय है। आईआईआईटी लखनऊ समाज व उद्योग जगत के सामने आने वाली चुनौतियों व समय के साथ उपजी मांगों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। दूरदर्शिता व कल्पनाशीलता का उदाहरण है कि यह देश का पहला संस्थान है कि जिसने नई शिक्षा नीति के विजन को ध्यान में रखते हुए डिजिटल बिजनेस के लिए एमबीए कार्यक्रम शुरू किया। यह पहल विद्यार्थियों को न केवल डिजिटल युग के लिए तैयार करने में सहयोगी साबित हुई है, बल्कि डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुकूल भी है। 

दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति/राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आईआईआईटी लखनऊ चेयरमैन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष विशद पद्मनाभ मफतलाल, आईआईटी लखनऊ के निदेशक डॉ. अरुण मोहन शैरी आदि उपस्थित रहे।

315 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गईं

समारोह में 315 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गईं। बीटेक इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम के 2018 सत्र के 65 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। साथ ही वर्ष 2019 बैच के बीटेक इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस पाठ्यक्रम के कुल 147 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। इसके अलावा 2020 बैच के कंप्यूटर साइंस पाठ्यक्रम के 23 स्टूडेंट्स को डिग्री प्रदान की गई। साथ ही एमटेक कंप्यूटर साइंस 2021 बैच के 27, एमबीए डिजिटल बिजनेस 2020 बैच के 22 और 2021 बैच के 20 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। वहीं पीजी डिप्लोमा इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग में वर्ष 2020 और 2021 के दो स्टूडेंट्स को डिग्री प्रदान की गई। पीजी डिप्लोमा इन डाटा साइंस के सत्र 2020 व 2021 के तीन स्टूडेंट्स और पीजी डिप्लोमा इन बिजनेस स्टडी के सत्र 2020 और 2021 के छह स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई।