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“लौ बस आलोक से लगाए रहो, यही लौ रास्ता दिखाएगी…”

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। दीपोत्सव के अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय, सांस्कृतिकी द्वारा अर्थशास्त्र विभाग के कौटिल्य सभागार में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, कुलसचिव डा. विनोद कुमार सिंह, कला संकाय अधिष्ठाता प्रो. अरविंद अवस्थी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. संगीता साहू, कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी, अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह के साथ सभी संकायों के डीन, सभी विभागाध्यक्ष और अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना हुई, जिसे मनोविज्ञान विभाग की शिक्षिकाओं डा. हंसिका सिंघल और स्वप्निल सिन्हा ने प्रस्तुत किया। हिंदी विभाग के प्रो. एसबी थापा ने मुक्तिबोध की पंक्तियों “जिंदगी में जो कुछ है, जो भी कुछ है, स्वीकारा है” और “लेना होगा जनम हमें कई कई बार” के साथ एक प्रेमगीत प्रस्तुत किया। जंतुविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. संगीता रानी ने एक गीत और उर्दू विभाग के डा अब्बास रजा नय्यर ने  शायरी “मै दिया हूं, मुझे बुझाएगी? ए हवा तेरी सांस फूल जायेगी। लौ बस आलोक से लगाए रहो, यही लौ रास्ता दिखाएगी” प्रस्तुत किया। वनस्पति विज्ञान की प्रो. गौरी सक्सेना और उनकी टीम ने “आओ पधारो पिया” गीत गाया।

कुलपति ने पठन-पाठन और परीक्षाओं की चर्चा करते हुए सभी को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के अंत में सांस्कृतिकी की निदेशिका प्रो. मधुरिमा लाल ने कुलपति और सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।