नाट्य कला समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने हेतु सबसे कारगर तरीकाः सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ
लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। एक ओर जहां अशिक्षा अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही है वहीं फास्ट फूड का ज्यादा सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। फास्ट फूड का दावा था कि लोग खासकर बच्चे उसको ज्यादा पसंद कर रहे है। वहीं श्री अन्न (मोटे अनाज) का कहना था कि भोजन में उसके उपयोग से शरीर स्वस्थ रहता है। दोनों में विवाद इस कदर बढ़ गया कि मामला अदालत में जा पहुंचा। जहां फास्ट फूड व देशी अन्न ने अपना अपना पक्ष रखा और उसके फायदे गिनाते हुए बेहतर स्वास्थ्य के लिए खुद को एक दूसरे से बेहतर बताया। अदालत में काफी देर बहस चली, दोनों पक्षों को सुनने के बाद जज ने श्री अन्न के पक्ष में फैसला देते हुए कहाकि स्वस्थ शरीर के लिए श्री अन्न सर्वश्रेष्ठ आहार है।
आंचलिक विज्ञान नगरी में सोमवार को विज्ञान महोत्सव में आयोजित नगर स्तरीय नाट्य प्रतियोगिता और नगर स्तरीय विज्ञान मेले में एसकेडी एकेडेमी के बच्चों ने नाटक के माध्यम से स्वस्थ शरीर के लिए मोटे अनाज का सेवन करने और फास्ट फूड के सेवन से बचने का संदेश दिया।
वहीं एसकेडी एकेडेमी जेएच ब्रांच, राजाजीपुरम के बच्चों ने नाटक ‘‘समाज में अन्धविश्वास” के माध्यम से संदेश दिया कि हमें अंधविश्वास से बचना चाहिये। उन्होंने दही चीनी का अंधविश्वास, निम्बू मिर्ची का अंधविश्वास, सूर्य ग्रहण में खाना न खाने का अंधविश्वास, दाहिनीं हथेली में खुजली का अंधविश्वास, पीपल के पेड़ का अंधविश्वास, बाबाजी का अंधविश्वास पर नाट्य रूपांतरण के माध्यम से उसके वैज्ञानिक आधार को बताया। सेंट जोजफ कॉलेज सी ब्लॉक राजाजीपुरम के स्टूडेंट्स ने नाटक के माध्यम से बताया कि अशिक्षा ही अंधविश्वास की जननी है। उन्होंने समाज में मकड़ी की जाल की तरह फैल रहे ढोंगी बाबाओं की पोल खोली और उनसे बचने का संदेश दिया।
आंचलिक विज्ञान नगरी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ (पूर्व निदेशक, भारतेंदु नाट्य एकेडेमी लखनऊ तथा फिल्मजगत के प्रतिष्ठित कलाकार) ने विद्यार्थियों को विज्ञान की नवीनतम जानकारियों के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को विद्यालय में थिएटर विकसित करने की सलाह दी। क्योंकि नाट्य कला के माध्यम से समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों जैसे समाज में अंधविश्वास, बालश्रम, श्री अन्न (मोटा अनाज) श्रेष्ठ आहार, खाद्य सुरक्षा, दैनिक जीवन में आधुनिक तकनीकी, स्वास्थ्य सेवाओ में वर्तमान समय में प्रगति इत्यादि का संदेश समाज के सभी वर्गों में आसानी से पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अपने अभिनय कैरियर के अनुभवों को उनके साथ साझा किया। उन्होंने भावी कलाकारों को इस प्रकार का मंच उपलब्ध कराने के लिए आचंलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ को धन्यवाद दिया।
आंचलिक विज्ञान नगरी के परियोजना समायोजक एम. अंसारी ने सभी प्रतिभागियों तथा दर्शकों का अभिवादन करते हुए कहा कि विद्यार्थियों, अध्यापकों एवं अन्य विज्ञान संचारकों को प्रोत्साहित करने के लिए आंचलिक विज्ञान नगरी द्वारा प्रत्येक वर्ष विज्ञान नाट्य प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जाता है। विज्ञान नाट्य प्रतियोगिता आंचलिक विज्ञान नगरी के प्रयास का एक हिस्सा है। जिसके माध्यम से विज्ञान से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को समाज के सामने लाकर उनका निदान किया जा सके। उन्होंने प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि अधिकाधिक संख्या में विद्यार्थी, उनके अध्यापक तथा उनके माता-पिता ने विज्ञान नाट्य मंचन के लिए मेहनत की है जोकि वैज्ञानिक सूचना के विभिन्न संदेश समाज में पहुँचाने में सहायक होंगे।
इस नगर स्तरीय नाट्य प्रतियोगिता में लखनऊ के विभिन्न स्कूलों की 22 टीमों ने अपने-अपने अंदाज में अपने नाट्य प्रस्तुत किये। इस अवसर पर डा. मुकुंद शर्मा (पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेलिओसाइंसेज, लखनऊ), डॉ. हेमंत कुमार (पूर्व लेक्चरर एवं टीवी प्रोडूसर, स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी लखनऊ) एवं डॉ. मृदुला भारद्वाज (सचिव नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोग्रेसिव आर्ट, लखनऊ) निर्णायक मण्डल के सदस्य के रूप में उपस्थित थे।
प्रथम पुरस्कार अवध एजुकेशनल अकैडमी, सीतापुर रोड को उनके नाटक ‘‘मॉडर्न टेक्नोलॉजी इन डेली लाइफ” हेतु प्रदान किया गया। द्वितीय पुरस्कार सेन्ट जोसेफ स्कूल, सीतापुर रोड को उनके नाटक ‘‘स्वर्ग में ज्ञान-पृथ्वी पर विज्ञान’’ के लिए और तृतीय पुरस्कार एसकेडी एकेडेमी जेएच ब्रांच, राजाजीपुरम को उनके नाटक ‘‘समाज में अन्धविश्वास’ के लिए दिया गया। प्रथम पुरूस्कार विजेता टीम को राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, नई दिल्ली में नवम्बर 2023 में होने वाली मण्डल स्तर की विज्ञान नाट्य प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा।
कार्यक्रम के अंत में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि ने विजयी प्रतिभागियों को नगद पुरस्कारों से सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में लगभग 550 विद्यार्थियों तथा अध्यापकों ने इन नाटकों का मंचन देखा और सराहा।