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शाश्वत सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्लब : दुर्गा पूजा पंडाल में दिखेगी कोलकाता की विलुप्त होती चित्रकारी, ये होगी खासियत

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। कहीं चंद्रयान 3, कहीं प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर तो कहीं कोलकाता की विलुप्त होती चित्रकारी। इस वर्ष दुर्गा पूजा पंडालों में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिलेगा। कोलकाता अपनी संस्कृति और कलाओं के लिए भी जाना जाता है। लेकिन कई ऐसी कलाएं व चित्रकारी है जो विलुप्त होती जा रही है। उन्हीं में से एक है “पाती चित्र”। जिसकी झलक इस वर्ष शाश्वत सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्लब संग बाल शाश्वत फॉउन्डेशन द्वारा सेक्टर – 9 विकासनगर में आयोजित होने वाले 24वें श्री श्री सार्वजनीन दुर्गा पूजा पंडाल में देखने को मिलेगी। खासबात यह है कि पूजा पंडाल में इस चित्रकारी को प्रोफेशनल चित्रकार नहीं बल्कि बाल शाश्वत फाउंडेशन के प्रतिभावान बच्चे उकेरेंगे। आमतौर जहां जगह जगह होने वाली दुर्गा पूजाओं में लाखों रुपये खर्च पण्डाल का डेकोरेशन किया जाता है वहीं इस पूजा पंडाल को भव्य व सुंदर आकार देने में शाश्वत क्लब के बच्चे अहम भूमिका निभाते हैं। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी पूजा पंडाल में बच्चों की कलाकारी देखने को मिलेगी। 

बाल शाश्वत फाउंडेशन के अध्यक्ष सुमित भौमिक ने बताया कि इस वर्ष कोलकाता की पुरानी चित्रकारी को “चित्रलेखा” थीम के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। पंडाल में जो भी आर्टवर्क होगा वो सब बाल शाश्वत फॉउन्डेशन के बच्चों द्वारा बनाया जाएगा। इसमें पुरानी चीजों व अनुपयोगी वस्तुओं का भी इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं माँ की मूर्ति की थीम भी चित्रकारी के ऊपर रखी गई है। साथ ही ढाकी बोलपुर से और पंडित जी ज़िला बाँकुरा (पश्चिम बंगाल) से आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि 17 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक होने वाले 24वें श्री श्री सार्वजनीन दुर्गा पूजा में प्रतिदिन पूजन के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। सप्तमी एवं नवमी को डांडिया का आयोजन भव्य रूप में किया जाएगा। इसके अलावा 14 अक्टूबर को संस्था द्वारा “Anando Mela” का आयोजन पूजा स्थल पर किया जाएगा। जिसमे बंगाल के विभिन्न व्यंजन एवं हस्तशिल्प वस्तुएँ रहेंगी।

कबाड़ के जुगाड़ से सजाया था पंडाल

विगत वर्ष 23वें श्री श्री सार्वजनीन दुर्गा पूजा में भी बाल शाश्वत फॉउन्डेशन के बच्चों ने कबाड़ के जुगाड़ से माँ दुर्गा के पंडाल को सजाने व उसे सुंदर रूप देने की अनोखी पहल की थी। जिसमें बेकार पड़ी पुरानी साड़ियों, पुराने टायर, गेंद, कागज, लोहे के एंगल, झाड़ू की सीक, शीशे व प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग कर बच्चों ने पंडाल को भव्य एवं सुंदर आकार देकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था।