लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज में संस्कृत दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अनुराधा तिवारी ने ज्ञान के देवता एवं ऋषि – मुनियों के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर संस्कृत दिवस का शुभारंभ किया। शोध छात्रा ज्योति ने मंगलाचरण का गान करके वातावरण को गुंजायमान कर दिया। शोध छात्रा श्यामली द्वारा भारतीय संस्कृति “अतिथि देवो भव:, आचार्य देवो भव:” के परिपाटी का निर्वाह किया गया, साथ ही वैदिक गणित को लौकिक गणित से बहुत ही सूक्ष्म-सरल उदाहरण सहित बताया गया।
मंच का संचालन करतें हुये संस्कृत प्रभारी डॉ. उषा मिश्रा ने महाविद्यालय की प्राचार्य एवं उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का वाचिक एवं पुष्प गुच्छ द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया। संस्कृत दिवस मनाये जाने का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा की महत्ता को ध्यान में रखें हुए विलुप्त हो रही संस्कृत भाषा के जीणोद्धार तथा प्रचार – प्रसार के लिए संस्कृत दिवस मनायें जाने का आदेश भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा 1969 में जारी किया गया। तब से यह दिवस श्रावण माह की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसे ऋषिपर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इसी तिथि को पूर्व में पति – पत्नी और वर्तमान में भाई – बहन के त्यौहार रक्षासूत्र (रक्षा बन्धन) भी मनाया जाता है। उन्होंने वैदिक साहित्य के गुरुकुल शिक्षा पद्धति के विशेषताओं को बतातें हुए संस्कृत दिवस के इतिहास पर प्रकाश डाला।
अंग्रेजी विभाग के डॉ. राजीव यादव ने संस्कृत भाषा का अन्य भाषाओं से तुलनात्मक एवं विश्लेषणात्मक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह अन्य भाषाओं से श्रेष्ठ है। तदोपरांत संस्कृत विभाग द्वारा विविध अवसर पर कराई गई सूक्ति, रंगोली, हस्तकला प्रदर्शन, श्लोक पाठ, संस्कृत गायन तथा निबंध प्रतियोगिता की विजेता छात्राओं अनुष्का सिंह, आयुषी पांडे, अंजली राजपूत, रोशनी गुप्ता, पूनम मिश्रा, उपासना दीक्षित, प्रियंका यादव, गरिमा भारती, सुभाषिनी राजपूत, अंजनी कनौजिया, अधीर यादव, अनामिका सिंह, कोमल राज, कोमल मिश्रा, प्रिंसी अवस्थी, आरती मौर्या, सरिता तिवारी, प्रियंका विश्वकर्मा, पूनम गौतम इत्यादि छात्राओं को प्राचार्य ने पुरस्कृत किया। इसके अतिरिक्त व्याख्यान से ही प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सही उत्तर देने वाली छात्राओं को तत्काल पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनुराधा तिवारी ने संस्कृत भाषा एवं संस्कृति विषय के प्रति छात्राओं का उत्साहवर्धन करने के साथ ही संस्कृत भाषा के पूर्व की प्रासंगिकता की गुत्थी खोलते हुए कहा कि यह भाषा पूर्व में जितनी प्रासंगिक थी आज भी उसमें कोई कमी नहीं आयी है। बल्कि संस्कृत भाषा आज के जीवन शैली के लिए और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। आप सभी के भविष्य के लिए इसमें अधिक सम्भावनाऐ है। प्राचार्य ने प्रश्नात्मक एवं संवादात्मक शैली के माध्यम से छात्राओं तथा शिक्षकों से संवाद स्थापित करतें हुए कहा कि यह भाषा पूर्णतया वैज्ञानिक हैं। यदि इसके श्लोकों का उच्चारण उचित प्रकार से पूरे दमखम के साथ किया जायें तब हम सभी के स्वास्थ पर सुधारात्मक गहन प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि अक्षरों के कम्पन/ध्वनि से मानव शरीर के सम्पूर्ण चक्र जागृत हो जातें है और हम सभी स्वयं को ऊर्जावान महसूस करतें हैं। श्लोकों, मंत्रों के उच्चारण से जो ध्वनि एवं कम्पन उत्पन्न होता है वह मानव शरीर के अंगूठे से लेकर मस्तिष्क तक सभी इन्द्रियों को सुसुप्ता से जागृतावास्था में, धमनियों में रक्त के प्रवाह में कोई बाधा हो तो संचार सन्तुलित एवं व्यवस्थित हो जाता, जोड़ों में जंग लगने बचाया जा सकता है। संस्कृत लिखनें से अंगुलियों का व्यायाम होता है। जिस भाषा में इतना चिकित्सकीय गुण है उसे अपने जीवन में उतारकर विविध रोगों जैसे हृदयाघात, रक्तचाप, जोड़ो के दर्द तथा आलस्य इत्यादि से छुटकारा पा सकतें हैं। इसके अतिरिक्त नासा के वैज्ञानिकों ने इसे कम्प्यूटर की भाषा कहा है। यदि हम देखें तो वास्तव में इसका व्याकरण, वर्णमाला जो कि हिन्दी भाषा से भिन्न एक क्रम में रखा गया है उसके पीछे भी महर्षि पाणिनि का एक विज्ञान काम करता है। इस भाषा उपादेयता इसकी सम्भावनाऐ ही है कि आज भारत सरकार ने NEP 2020 में बहुभाषावाद को प्रासंगिक कहते हुए शिक्षा क्षेत्र के सभी स्तरों पर संस्कृत को जीवन जीने की मुख्य धारा में शामिल कर अपनाने पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर डॉ. शिवानी श्रीवास्तव, डॉ. श्वेता भारद्वाज, डॉ. राजीव यादव, डॉ. पूनम वर्मा, डॉ. जय प्रकाश वर्मा, डॉ. सपना जायसवाल, डॉ. क्रान्ति सिंह, डॉ. रश्मि अग्रवाल सहित सम्पूर्ण महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।