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श्री रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग, संगोष्ठी 29 अगस्त को

देशभर में चलाया जा रहा हस्ताक्षर अभियान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लोक मंगलकारी पुनीत ग्रन्थ श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित किये जाने की मांग को लेकर देशभर में चलाये जा रहे हस्ताक्षर अभियान के क्रम में जय बजरंग सेना के तत्वावधान में लखनऊ में आगामी 29 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, विपिन खण्ड, गोमतीनगर में संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्त जानकारी जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रामचरित मानस हस्ताक्षर अभियान के राष्ट्रीय संयोजक नितिन उपाध्याय ने दी। इस मौके पर जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री व अखिल भारत हिन्दू महासभा, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी भी मौजूद थे। नितिन उपाध्याय ने बताया कि संतश्री मदनगोपाल दास जी महाराज, श्रीकामदगिरि पीठम्, श्रीकामतानाथ मन्दिर प्रमुख द्वार, चित्रकूट धाम की प्रेरणा से शुरू किये इस अभियान के अन्तर्गत हो रही इस संगोष्ठी में देश-प्रदेश के प्रमुख साधु संतों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों एवं सभी प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमन्त्रित किया गया है। संगोष्ठी में रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित किये जाने की मांग को लेकर चलाये जा रहे राष्ट्रीय अभियान को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिये विचार-विमर्श किया जायेगा। संगोष्ठी में अधिक से अधिक लोगों से पहुंचने की अपील करते हुये उन्होंने कहा कि जनभावनाओं से संबद्ध यह राष्ट्रीय अनुष्ठान लोगों के सहयोग से ही फलित हो सकेगा। श्री उपाध्याय ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि से प्रारम्भ किये गये इस अभियान को देशभर में व्यापक पैमाने पर समर्थन मिल रहा है। अब तक लाखों लोग रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने के लिये चल रहे हस्ताक्षर अभियान में अपने हस्ताक्षर कर दिन प्रतिदिन एक नई ताकत को पैदा कर रहे है। श्री उपाध्याय ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि देश में विधर्मियों द्वारा रामचरितमानस जैसे पुनीत ग्रन्थ की निन्दा की जा रही है, ताकि जनमानस में श्रीराम की छवि को धूमिल किया जाये और ग्रन्थ में समाहित सनानत मूल्य अर्थात मानव मूल्यों से भारतीय समाज को अलग कर हिन्दुत्व को कमजोर किया जाये, ऐसे कुत्सिक प्रयासों को रोकने के लिये श्रीराम चरित मानस को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित कर संवैधानिक दर्जा दिया जाना जरूरी है।