लखनऊ (संतोष कुमार सिंह/टेलीस्कोप टुडे)। मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष ने मणिपुर की घटना पर निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया। लखनऊ मध्य विधान सभा क्षेत्र से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने नियम 311 के तहत सूचना रखते हुए कहा कि मणिपुर में 5 महिलाओं को निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से दरिंदगी हुई। सड़क पर उनका चीरहरण कर बीच सड़क पर उनके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ तथा एक महिला की हत्या कर दी गई। जिसमें कारगिल युद्ध विजेता पूर्व सैनिक की पत्नी भी थी। जिस वीर बहादुर सैनिक ने देश की रक्षा की थी। वह अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पाया। मणिपुर में ऐसी हैवानियत की घटनाएं लगातार हो रही है, और जिस से पूरी इंसानियत शर्मसार हो गई है। एक बहन के साथ हो रहे बलात्कार को रोकने के लिए जब एक भाई ने प्रयास किया तो उसे सरेआम कत्ल कर दिया गया। मणिपुर की हिंसा में महिलाओं सहित 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 60000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। सैकड़ों महिलाएं लापता है। महिलाओं के साथ हो रही शर्मनाक एवं दुस्साहस की घटनाओं को देखते हुए सदन की कार्रवाई रोक कर चर्चा कराई जाए तथा सरकार मणिपुर घटना की तीव्र निंदा करें। रविदास मेहरोत्रा के इस मांग पर नेता सदन ने कहाकि विपक्ष उत्तर प्रदेश के मुद्दों को छोड़कर मणिपुर की बात कर रहा है। जिसका कोई औचित्य नहीं है। जवाब में नेता प्रतिपक्ष व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहाकि देश के प्रधानमंत्री इसी प्रदेश से आते हैं ऐसे में मणिपुर की घटना पर यहां चर्चा और निंदा प्रस्ताव क्यूं नहीं किया जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष के इस वक्तव्य के बाद समाजवादी पार्टी के लगभग सारे विधायक सदन में हंगामा करने लगे। हंगामा और नारेबाजी को देखते ठीक 12 बजे विधानसभा अध्यक्ष ने आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। 12.30 बजे पुनः 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही की स्थगित किया गया। वहीं नरेश सदस्य विधान परिषद उत्तम पटेल, सदस्य विधान परिषद राजेन्द्र चौधरी, सदस्य विधान परिषद स्वामी प्रसाद मौर्य व नेता समाजवादी पार्टी विधान परिषद लाल बिहारी यादव ने विधान परिषद में मणिपुर की घटना पर निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग की। इन नेताओं ने कहाकि मणिपुर प्रदेश में कुकी समुदाय की महिलाओं के साथ मानवता को शर्मसार करने वाली, नंगाकर सड़क पर घुमाने वाली घटना से सम्पूर्ण विश्व में भारत की छवि खराब हुई है। देश के प्रत्येक प्रदेश की महिलाएं भयाक्रान्त हैं। मणिपुर प्रशासन की विफलता को देखते हुये केन्द्र सरकार का हस्तक्षेप अति आवश्यक हो गया है। समाज में ऐसी घटनाएं पुर्नजन्म न लेने पाए इसलिए इसकी सामूहिक निन्दा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना में पीड़ित परिजनों को ढाढस बंधाने एवं घटना की तथ्यात्मक जानकारी प्राप्त करने हेतु उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्यों का एक प्रतिनिधि मण्डल भी भेजा जाना चाहिए। लेकिन परिषद ने इन प्रस्तावों की सुनवाई से इंकार कर दिया।