लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अवधविद् साहित्यकार एवं लोक चौपाल के चौधरी डॉ. रामबहादुर मिश्र ने कहा कि “अवध केवल क्षेत्र का नाम नहीं, बल्कि जीने की एक समृद्ध परंपरा है, जिसमें खान–पान, संस्कृति और जीवन-मूल्यों की अनूठी छटा मिलती है।” वे लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा रविवार को ईश्वर धाम मंदिर परिसर, इन्दिरा नगर में आयोजित 80वीं लोक चौपाल में “अवध के लोक व्यंजन” विषयक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि लखनऊ शहर को हाल ही में खान पान की विशिष्टता के चलते क्रियेटिव सिटी का दर्जा मिला है। रेखा अग्रवाल व अन्य वक्ताओं ने अवधी व्यंजनों की प्राचीन परंपरा, त्यौहारों–संस्कारों से जुड़े भोजन तथा घरेलू सामग्रियों से बनने वाले पौष्टिक व्यंजनों की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

वरिष्ठ लोक गायिका एवं चौपाल चौधरी पद्मा गिडवानी की अध्यक्षता में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं। शुभारंभ निवेदिता भट्टाचार्य, सौम्या गोयल, अविका, अव्युक्ता, कर्णिका, प्रवीन गौर, दीपिका ने गणेश वन्दना और मंगल गीत गाओ साईंराम आ रहे हैं से किया। इसके बाद लखनऊ की शान क्या कहना, शाकाहारी पकवान क्या कहना की प्रस्तुति दी।
सुषमा गुप्ता ने क्या बनाऊं तरकारी बता के जाना, सरिता अग्रवाल ने आपन रसोई में बनइहो पकवान, सुषमा प्रकाश ने हमारे प्रभु कब मिलिहैं घनश्याम, चित्रा श्रीवास्तव ने राम पइयां चलो, अरुणा उपाध्याय ने राधिका श्यामसुन्दर को प्यारी, शारदा पाण्डेय ने आओ आओ मेरे बांके बिहारी, संगीता खरे ने झुक जइयो तनी रघुवीर, वीना सक्सेना सिया जी बनी दुल्हन तथा पद्मा गिडवानी ने जटाओं में गंगा गले मुण्डमाला, देवेश्वरी पंवार ने गढ़वाली भजन सुनाया।

चौपाल में वर्ष 2025 के मीराबाई सम्मान से सुषमा प्रकाश को समलंकृत किया गया। विदेश प्रवास के चलते गत दिनों वे समारोह में सम्मिलित नहीं हो पाई थीं। उन्हें प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्रम् एवं मोतियों की माला भेंट की गई।
लोक चौपाल का संचालन ज्योति किरन रतन, वाद्य संगत शशांक शर्मा व अविका गांगुली ने किया। कार्यक्रम में विश्वभर अवस्थी, भूषण अग्रवाल, डॉ. एस.के. गोपाल, रोली अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित रहे।
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