नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ऋण वसूली अपीलीय अधिकरणों (डीआरएटी) के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों की एक बैठक का आयोजन किया। डीएफएस सचिव एम. नागराजू की अध्यक्षता में अयोजित इस बैठक में अधिकरणों के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला गया।वित्त मंत्रालय ने जारी एक बयान में बताया कि डीएफएस के सचिव एम. नागराजू ने इस बैठक में उपस्थित डीएफएस के वरिष्ठ अधिकारियों, विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों और भारतीय बैंक संघ के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। डीएफएस सचिव ने अधिकरणों की प्रक्रियाओं में सुधार लाने के लिए विभाग द्वारा डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने हेतु उठाए गए प्रमुख कदमों पर प्रकाश डाला, जिसमें अनिवार्य ई-फाइलिंग को अपनाना, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग, हाइब्रिड सुनवाई आदि शामिल हैं।बैठक में अपीलीय अधिकरणों में वसूली प्रक्रिया की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए व्यापक मुद्दों पर चर्चा हुई। इस चर्चा में शामिल थे:-डीआरटी के माध्यम से वसूली बढ़ाने के लिए बैंकों के सुदृढ़ीकरण, निगरानी और पर्यवेक्षण तंत्र को और मजबूत करने हेतु उपाय, वसूली को अनुकूलित करने के लिए डीआरटी में उच्च मूल्य वाले मामलों पर विशेष ध्यान देना, विवादों के शीघ्र निपटारे के लिए वैकल्पिक समाधान तंत्र के रूप में लोक अदालतों का अधिकतम उपयोग, डीआरटी में निपटान में सुधार के लिए आगे की प्रक्रिया में सुधार और विभाग और बैंकों द्वारा क्षमता निर्माण के लिए उपायों में पीठासीन अधिकारियों, वसूली अधिकारियों, रजिस्ट्रारों और बैंकों के अधिकृत अधिकारियों के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।मंत्रालय के मुताबिक बैठक में ऋण वसूली और दिवालियापन अधिनियम, 1993 और वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 में संशोधन संबंधी सुझावों पर चर्चा की गई, ताकि इन कानूनों की प्रभावशीलता को और बढ़ाया जा सके। धिकरणों से अन्य डीआरटी में अपनाई जाने वाली ऋण वसूली के मामलों के प्रभावशाली निपटान की सर्वोत्तम विधियों को सीखने का आग्रह किया है।—————
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