- यूपी में औद्योगिक विकास को नई गति: ₹1.68 लाख करोड़ के निवेश को धरातल पर उतारने के लिए भूमि आवंटन संबंधी सुधारों में तेज़ी
- बड़े निवेश प्रस्तावों के लिए भूमि आवंटन प्रक्रिया तेज करे औद्योगिक विकास प्राधिकरण: आलोक कुमार, अपर मुख्य सचिव
- प्रदेश में 25,000 एकड़ का लैंड बैंक मासिक अपडेट होगा, निवेशकों को एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी
ग्रेटर नोएडा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के विजन को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाते हुए, इन्वेस्ट यूपी ने आज ग्रेटर नोएडा स्थित होटल में एक उच्च-स्तरीय कार्यशाला-समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, आलोक कुमार ने की। जिसमें प्रदेश के सभी प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरणों (आईडीए) के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) ने भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य औद्योगिक विकास के लिए एक एकीकृत और समयबद्ध रणनीति तैयार करना था।
चर्चा का मुख्य केंद्र औद्योगिक भूमि आवंटन में तेज़ी लाना, भूमि अधिग्रहण से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना और निवेशकों के लिए एक अनुकूल व सुगम माहौल बनाना रहा। उल्लेखनीय है कि भूमि की उपलब्धता और बुनियादी ढाँचे के समर्थन पर समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव के निर्देश पर अगस्त में तीन उच्च-स्तरीय समितियों का गठन किया गया था।
यूपीसीडा, नोएडा, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए, यीडा, यूपीडा, गीडा, बीडा (झाँसी) और सीडा (जौनपुर) के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया। इस बैठक का उद्देश्य लंबे समय से लंबित भूमि संबंधी मुद्दों को सुलझाना और बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश को धरातल पर उतारना था, जिसमें ‘प्लग-एंड-प्ले’ इंफ्रास्ट्रक्चर, समयबद्ध प्लॉट आवंटन और गैर-क्रियाशील इकाइयों को रद्द करने पर विशेष जोर दिया गया।

इन्वेस्ट यूपी और आईडीए की प्रस्तुतियों से अनुसार विभिन्न एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा प्रदेश के आईडीए के अंतर्गत अबक 33,000 से अधिक औद्योगिक भूखंडों का सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें से लगभग 25% खाली पड़े हैं। कार्यशाला में राज्य की औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति के अनुरूप खाली भूमि व बंद इकाइयों को तुरंत चालू करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। अधिकारियों को सौर विनिर्माण, डेटा सेंटर, लॉजिस्टिक्स, आईटी/आईटीईएस और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उभरते उद्योगों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट लैंड बैंक तैयार करने का निर्देश दिया गया।
₹100 करोड़ से ऊपर की 132 से अधिक परियोजनाओं (जिनका कुल मूल्य ₹1.68 लाख करोड़ से अधिक है) से जुड़े भूमि संबंधी मुद्दों को हल करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाएगी, ताकि उनका जल्द से जल्द क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। इन उच्च-मूल्य प्रस्तावों में इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, वेयरहाउसिंग, सीमेंट और डेटा सेंटर जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी प्रस्तावित किया गया कि 25,000 एकड़ से अधिक के विशाल लैंड बैंक को मासिक आधार पर अपडेट किया जाए जिससे सभी को भूमि उपलब्धता की त्वरित जानकारी एक क्लिक पर मिल सके। चर्चा में आईडीए में नियमों को मानकीकृत करने और पारदर्शिता व एकरूपता बढ़ाने के लिए यूनिफाइड बिल्डिंग बाय-लॉज़ लागू करने पर भी बात हुई।
सत्र में निवेश मित्र 3.0 के तहत चल रहे सुधारों की भी समीक्षा की गई, जिसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाना है, जिससे समय-सीमा, दस्तावेज़ीकरण और अनुपालन की आवश्यकताओं में 50% तक की कमी आएगी। चर्चा में आईडीए में नियमों को मानकीकृत करने और पारदर्शिता व एकरूपता बढ़ाने के लिए यूनिफाइड बिल्डिंग बाय-लॉज़ लागू करने पर भी बात हुई।
बैठक को संबोधित करते हुए आलोक कुमार ने कहा, “निवेशकों के लिए भूमि को सुगम बनाना और विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा तैयार करना उत्तर प्रदेश की औद्योगिक रणनीति का मूल है।” उन्होंने कहा, “इस कार्यशाला का उद्देश्य एक ऐसी सहज और प्रतिक्रियाशील प्रणाली बनाना है, जहाँ निवेशकों को समाधान मिलें, न कि बाधाएँ।” भूमि आवंटन और बुनियादी ढाँचे के वितरण को सुव्यवस्थित करके, राज्य एक निवेशक-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है जो प्रदेश को $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करेगा।
बैठक का समापन सभी आईडीए के लिए ₹100 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्तावों के लिए 15 दिनों के भीतर भूमि की सुविधा प्रदान करने और नियमित रूप से अपने लैंड बैंक को अपडेट करने के निर्देश के साथ हुआ। इन सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, उत्तर प्रदेश का लक्ष्य औद्योगिक विकास को रोजगार सृजन, आर्थिक विस्तार और वैश्विक निवेशक विश्वास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में बदलना है।