Wednesday , May 14 2025

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन : आतंकवाद व उसको पोषित करने वालों को कड़ा संदेश


ऑपरेशन सिन्दूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है

मृत्युंजय दीक्षित


पहलगाम की वीभत्स घटना और आपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई –बुद्ध पूर्णिमा के दिन देश को पहली बार संबोधित किया । पूरा देश इस संबोधन की सांस थामे प्रतीक्षा कर रहा था क्योंकि अचानक सीज फायर सुनकर सब हतप्रभ थे – ये क्या हुआ ? हम तो पाकिस्तान को जीत रहे थे? देश में अजीब सी छटपटाहट फ़ैल गई थी। प्रधानमंत्री आए, भारतवासियों से बात की और सब कुछ शीशे की तरह स्पष्ट हो गया। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद व पाकिस्तान पर भारत की रणनीति स्पष्ट करते हुए अपने देशवासियों के साथ साथ वैश्विक समुदाय को भी संबोधित किया और कुछ राष्ट्रों को उनके दोहरे रवैये पर कड़ा संदेश दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वप्रथम ऑपरेशन सिंदूर की अभूतपूर्व सफलता पर देशवासियों व सेना के सभी अंगों को बधाई दी। इस ऑपरेशन के तहत 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, बुहवालपुर और मुरीदके जैसे 9 आतंकी ठिकाने तबाह किये गए और पाकिस्तान के हमलों की जवाबी कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान के 11 एयर बेस को भरी नुकसान पहुँचाया गया। प्रधानमंत्री ने अमेरिका और ब्रिटेन को याद दिलाया कि उनके देशों में हुए बड़े आतंकी हमले वाले भी इन्हीं स्थानों पर प्रशिक्षित किये गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था इसीलिए भारत ने आतंकवादियों के हेडर्क्वाटस को ही उजाड़ दिया। आतंकवादियों और उनके आकाओं को ऐसी सजा मिली है जिसके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था। पाकिस्तान ने हमारी सीमा पर वार किया तो भारत ने उसके सीने पर वार किया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब ऑपरेशन सिन्दूर ही भारत की नीति है, भविष्य में होने वाले किसी भी आतंकी हमले को अब भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के सामान माना। प्रधानमंत्री ने कहा, अभी हमने सैन्य कार्यवाही केवल स्थगित की है। हमारी सेनाएं लगातार सतर्क व तैयार हैं तथा कहीं भी किसी भी समय हमला करने के लिए तैयार व तत्पर हैं।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक समुदाय को भी स्पष्ट रूप से कह दिया है – अब अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो वह केवल और केवल आतंकवाद और पीओके पर ही होगी और साथ ही अब भारत किसी भी प्रकार की परमाणु धमकी से नहीं डरने वाला है। भविष्य में भी यदि कोई आतंकी हमला होता है तो उसका इसी प्रकार मुहतोड़ जवाब दिया जायेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी है। आपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में न्यू नार्मल तय कर दिया है। अब भारत का मत एकदम स्पष्ट है कि टेरर, ट्रेड और टाक एक साथ नहीं चलेंगे। पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकते। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों द्वारा आतंकियों के अंतिम संस्कार में भाग लेने का स्मरण कराते हुए खा कहा कि भारत आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग- अलग करके नहीं देखेगा।
पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा यदि पाकिस्तान को रहना है तो उसे आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही पड़ेगा । पाकिस्तान की सरकार जिस तरह आतंकवाद को खाद पानी दे रही है वह एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि आतंकी तीन दशक से पाकिस्तान में घूम रहे थे और पाकिस्तान ने आतंकियों पर कार्यवाही के बजाए भारत पर ही हमले करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूल- कालेज गुरुद्वारों और आम नागरिकों के घरों को निशाना बनाया लेकिन इससे वह खुद बेनकाब हो गया। दुनिया ने देखा कि किस प्रकार से पाकिस्तानी ड्रोन, मिसाइलें व विमान आदि तबाह हो रहे थे। हमारे डिफेंस सिस्टम ने उनके हर हमले को नाकाम कर दिया। आज हर आतंकी संगठन जान चुका है कि भारत की बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है। देश को संबोधित करते हुए भारत ने स्वदेशी आयुधों की भी जम कर प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर सोशल मीडिया व मीडिया जगत में चल रही तरह- तरह की चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कहा चूंकि हमने मात्र तीन दिनों में ही पाकिस्तान को पूरी तरह से कमजोर कर दिया था जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था तो वह बचने के रास्ते खोज रहा था और विश्व भर में गुहार लगा रहा था। बुरी तरह पिटने के बाद 10 मई को दोपहर में पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ से संपर्क किया और हमने अपनी शर्तों पर उसपे विचार किया । अभी जो युद्ध का स्थगन हुआ है वह केवल भारत और पाकिस्तान के बीच हुई वार्ता से ही हुआ है और इस मामले में किसी प्रकार की कोई मध्यस्थता नही हुई है। आगे भी किसी भी प्रकार की कोई मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने परोक्ष रूप से सिन्धु जल संधि के निलंबित रहने का सन्देश भी दे दिया।


(मृत्युंजय दीक्षित स्तंभकार है और ये उनके निजी विचार हैं)
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