मां पर भला कब कौन लिख पाया है
अहमियत उनकी तब ही पता चली
जब खुद को उनके किरदार में पाया है
मां अनपढ हो या पढी लिखी
अपने बच्चो की वो प्रोफेसर है
जो उसने पढाया है
वो भला किसी किताब में कहां मिल पाया है
सबसे पहले पूजे जाने वाले गजानन ने भी
मां को ही सम्पूर्ण सृष्टि बतलाया है
बेटों के संग तो हमेशा रही है जीवनदायनी मां
पर बेटियों ने तो दो दो मांओ को अपनाया है
जिसने जीवन दिया उससे ज्यादा जीवन साथी की मां का साथ निभाया है
जब जरूरत पड़ी एक साथ दोनो मांओ को
तब पहले जीवन साथी की मां का साथ निभाया है
क्यो कि ये संस्कार जीवन देने वाली मां से पाया है
पर अपने बच्चो के लिए हर रिश्ते से ऊपर
पहले खुद मां होने का फर्ज निभाया है
जब लिखने के लिए मां पर मैने कागज कलम उठाया है
तब मैने खुद को शब्द विहीन पाया है
