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पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन गंभीर श्वांस रोगियों के लिए वरदान : डा. सूर्यकान्त

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन पर केजीएमयू में द्वितीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में सोमवार को पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की द्वितीय नेशनल अपडेट संगोष्ठी आयोजित हुई। इस मौके पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि देश में लगभग 10 करोड़ लोग सांस की बीमारियों से ग्रसित हैं। इन सांस के रोगियों के उपचार के साथ पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन का महत्वपूर्ण योगदान है।

डॉ. सूर्यकान्त ने कहा कि प्रमुख श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे- अस्थमा, सीओपीडी, आईएलडी, ब्रोंकिइक्टेसिस आदि शामिल हैं, जिनमें पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की विशेष भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि फेफड़े की टीबी के रोगी जिनके इलाज के बाद भी सांस फूलती रहती है, ऐसे रोगियों के इलाज में भी पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि श्वसन के गंभीर एवं पुराने रोगियों के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन एक वरदान है। जब कोई रोगी हमारे पास आता है, तो हमारा पहला उद्देश्य उसका उपचार करना होता है, दूसरा उसके लक्षणों पर नियंत्रण स्थापित करना, तीसरा उसे राहत प्रदान करना और चौथा उसकी बीमारी की तीव्रता को कम करना। यदि इसे रोकने में असमर्थता होती है, तो वहीं से पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की भूमिका शुरू होती है।

रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अंकित कुमार ने अस्थमा से पीड़ित रोगियों व उनकी समस्याओं के निदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। एम्स गोरखपुर से आये एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमित रंजन ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में आ रही समस्याओं व उसके वैकल्पिक निदानों पर विचार प्रस्तुत किये। इसके साथ ही डा. बीपी सिंह, डा. निशा मणि पांडेय, डा. एके सिंह व डा. आनन्द गुप्ता ने भी विचार साझा किये। कार्डियो रेस्पिरेटरी फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डा. शिवम श्रीवास्तव ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में की जाने वाली जांचों एवं उनकी उपयोगिता के साथ सम्पूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।

कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।जिसमें स्वास्थ्य विभाग के डा. ऋषि कुमार सक्सेना, डा. मोहम्मद आमिर के साथ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डा. आरएस कुशवाहा, डा. संतोष कुमार, डा. दर्शन बजाज व अन्य कई अस्पतालों और संस्थानों के पल्मोनोलॉजिस्ट, फ़िज़ियोथेरेपिस्ट, डायटीशियन, साइकोलोजिस्ट भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के अन्त में प्रतिभागियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें उन्हें यह सिखाया गया कि सांस के रोगियों को पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के लिए कैसे चयनित किया जाए, कैसे उन्हें उपयुक्त डाइट की जानकारी दी जाए, कैसे उनकी काउंसलिंग की जाए, विभिन्न व्यायाम कैसे सिखाए जाएं और उनकी मॉनिटरिंग कैसे की जाए।