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जमीन पर उतरकर ही गाँव का विकास संभव : डॉ. हीरा लाल

  • गौरीगंज में कृषि विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की बैठक
  • तालाब निर्माण की गुणवत्ता को परखा और दिए जरूरी निर्देश

गौरीगंज, अमेठी (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जमीन पर उतरकर ही सही मायने में गाँव का समुचित विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। अधिकारी और कर्मचारी ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को समझें और उनका समाधान निकालने की हरसम्भव कोशिश करें। यह बातें स्टेट नोडल एजेंसी वाटरशेड डेवलपमेंट कमेटी (डब्ल्यूडीसी) –प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. हीरा लाल ने शुक्रवार को गौरीगंज के नेवादा में कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ बैठक करते हुए और गुड्डनपुर (संभावा) में स्थलीय निरीक्षण करते हुए कही।

विभाग की जिम्मेदारी संभालने के एक महीने के भीतर तीसरे जिले के दौरे पर पहुंचे डॉ. हीरा लाल ने सख्त चेतावनी दी कि विभागीय कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही और हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डॉ. हीरा लाल ने गौरीगंज के गुड्डनपुर (संभावा) में करीब 26 लाख की लागत से बनाए गए तालाब का निरीक्षण करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को मानक का सही-सही पालन न करने पर फटकार लगायी।

उन्होंने निर्देश दिया कि हर कार्य की एक चेक लिस्ट होनी चाहिए ताकि मानक का सही-सही पालन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने तालाब निर्माण की गुणवत्ता को भी परखा और जरूरी निर्देश भी दिए। उन्होंने तालाब निर्माण की पूरी फ़ाइल के साथ अधिकारियों को तीन फरवरी को लखनऊ में होने वाली बैठक में तलब किया है।

उन्होंने तालाब के किनारे बाउंड्री पर वृक्षारोपण करने और तालाब में पानी के आवागमन की व्यवस्था सुचारू बनाने के बारे में निर्देश दिए। अधिकारियों और कर्मचारियों से कहा कि वह विभाग की गाइडलाइन व विभागीय परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) का भलीभांति अध्ययन करें और अपने दायित्वों को समझें ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को पहुंचाकर उनमें खुशहाली लायीजासके। इसके साथ ही व्यावहारिक ज्ञान पर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि किसानों और ग्रामीणों को इतना व्यावहारिक ज्ञान होता है कि वह हवा का रुख देखकर मौसम का मिजाज बता सकते हैं। इसलिए ग्रामीणों की इज्जत करना सीखें और उनसे मिलकर परियोजना के बारे में चर्चा करें और उनकी सलाह व सुझाव को भी अहमियत दें।

संभावा की ग्राम प्रधान ज्ञानमती देवी ने डॉ. हीरालाल से मिलकर गाँव की समस्याओं से अवगत कराया। इस पर उन्होंने ग्राम प्रधान को समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों से मिलने और कृषि विभाग के अधिकारियों को उनकी मदद करने का निर्देश दिया। इस मौके पर उप निदेशक कृषि सतेन्द्र त्रिपाठी, भूमि संरक्षण अधिकारी (कृषि) संदीप कुमार और अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

इसके उपरान्त नेवादा में विभागीय समीक्षा बैठक करते हुए डॉ. हीरा लाल ने अभी तक के कार्यों और आय-व्यय की समीक्षा की। बैठक में मौजूद ग्राम प्रधानों और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं ने अपनी दिक्कतों व अनुभवों को साझा किया। डॉ. हीरा लाल ने अधिकारियों/कर्मचारियों को निर्देश दिया कि सरकारी पैसे का सही इस्तेमाल कर अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाएं। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों की मार्केटिंग टीम बनाने और उनके उत्पादों को बाजार मुहैया कराने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा महिलाओं का क्षमतावर्धन करने का भी निर्देश दिया। किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ) के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।