Sunday , April 20 2025

श्रद्धांजलि

क्या लिखूं उस महान शख्सियत पर
जिसने खुद स्वर्णिम इतिहास रचा
इरादे जिस के अटल सदा
वो शख्स रहा है अटल खड़ा
लेकर कलम की ताकत को
पत्रकारिता क्षेत्र चुना
भावो से भरा कवि ह्रदय
न रोक सका मन के भावों को
पिरो शब्दो मे भावो को
कविताओ को आकार दिया
जब रखा कदम सियासत मे
फिर से एक नया इतिहास रचा
विगुल बजाया था जिस पथ पर
पूर्ण हुई शताब्दी जब
सपना तब साकार हुआ
अडिग अटल विश्वास साथ
हर बाधाओ को पार किया
चेहरे पर मुस्कान सौम्य सी
वो शख्स रहा है अटल खड़ा
जिस की वाकपटुता के आगे
विरोधी भी परास्त खड़ा
आजादी के पावन दिन पर
राष्ट्रीय ध्वज न झुकने दिया
सदा नमन उस महापुरुष को
जो मौत से भी लड़ पड़ा
इरादे जिस के अटल सदा
वो शख्स अंत तक रहा अटल खड़ा
कुछ तो बात रही होगी उसमे
नाम यूं ही नही उसका अटल पड़ा

(संध्या श्रीवास्तव की कलम से)