निधि श्रीवास्तव
काश कि तुम मैं होते
तो जान पाते
कि चाहिए मुझे भी एक हिस्सा
तुम्हारे घर का नहीं
तुम्हारे दिल का
जहां बसते हैं
हर रिश्ते नाते
सिवाय मेरे..
काश कि तुम मैं होते
तो जान पाते
कि इन नीरव सी आंखों में
बसते हैं कुछ भाव मेरे
हृदय में पनपते हैं
कुछ अहसास मेरे
काश कि तुम मैं होते
तो जान पाते
कि मैं कौन हूं
एक मूक संवेदना में
लिपटी हुई मौन हूं
हैं शब्द हजारों मेरे पास भी
पर आज उन्हीं शब्दों में सिमटी हुई
जाने मैं कौन हूं
काश कि तुम मैं होते…
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