Wednesday , October 30 2024

महिलाओं से अधिक पुरुषों में होता है फेफड़ों के कैंसर का खतरा

  • 50 साल की उम्र के बाद जरूर कराएं जांच
  • अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ में लो डोज सीटी स्कैन से होगी फेफड़े के कैंसर की स्क्रीनिंग
  • सामान्य सीटी स्कैन की तुलना में लो-डोज सीटी स्कैन में बेहद कम मात्रा में होता है रेडिएशन एक्सपोजर
  • सिगरेट, बीड़ी के धुएं का छल्ला उड़ने वाले खतरे की जद में
  • औद्योगिक कारखाने में काम करने वाले कर्मचारी भी संवेदनशील

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। देश में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसको देखते हुए अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ विश्व लंग्स कैंसर अवेयरनेस (जागरूकता) दिवस पर लो डोज सीटी स्कैन की सुविधा करने जा रहा है। यह फेफड़ों के कैंसर की स्क्रीनिंग जांच है। इसे बेहद सस्ते दर पर अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मरीजों की सुविधाएं मिलेगी।

अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक वर्मा ने बताया कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के हर वयस्क को लो-डोज सीटी स्कैन जरूर करना चाहिए। इस जांच से फेफड़ों में होने वाले कैंसर के संकेत का पता चल सकता है। सही समय पर इस कैंसर की पहचान होने पर इसका सटीक इलाज संभव है। ज्यादातर मामलों में यह इस कैंसर के लक्षण का पता देर से चलता है।

डॉ. अभिषेक वर्मा ने बताया कि यह कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होता है। इसकी वजह है पुरुषों का धूम्रपान, सिगरेट, बीड़ी का शौक। एक्टिव स्मोकर और धूम्रपान छोड़ चुके लोग इस कैंसर के लिए संवेदनशील हैं। प्रदूषण उत्सर्जन करने वाले कारखाने जैसे कोयले की खदान, एसबेस्टस की फैक्ट्री, सिलिकोसिस की फैक्ट्री में काम करने वाले भी कर्मचारी भी संवेदनशील श्रेणी में आते हैं।

उन्होंने बताया कि सामान्यत: महिलाएं समाज में पुरुषों की अपेक्षा सिगरेट व बीड़ी का सेवन कम करती हैं। महिलाओं में फेफड़े के कैंसर होने की मुख्य वजह गांव में लकड़ी के चूल्हे हैं। लकड़ी या उपले के चूल्हे से निकलने वाला धुआं महिलाओं के फेफड़े में कैंसर कारक होता है।

लो डोज सीटी से नहीं होता रेडिएशन एक्सपोजर

रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शुचि सिंह ने बताया कि फेफड़े के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए लो डोज सीटी स्कैन सबसे आधुनिक जांचों में से एक है। आमतौर पर फेफड़ों में कैंसर की पहचान के लिए सीटी स्कैन जांच कराई जाती है। इस जांच में रेडिएशन एक्सपोजर होता है। यह मानक है कि वर्ष में एक बार ही सीटी स्कैन जांच करानी चाहिए। रेडिएशन के इसी खतरे को कम करने के लिए लो डोज सीटी स्कैन शुरू किया गया है। यह एक्सरे आधारित सीटी स्कैन है। जिसमें सामान्य सीटी स्कैन की तुलना में महज 20 फीसदी रेडिएशन एक्सपोजर होता है।

अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीईओ और एमडी डॉ. मयंक सोमानी ने बताया कि मरीजों को इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल प्रतिबद्ध है। हमारे मानक उत्कृष्ट हैं। समूह मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहे ट्रेंड को अपना रहा है। प्रदेश में पहली बार फेफड़ों के कैंसर की स्क्रीनिंग में लो-डोज सीटी स्कैन की शुरुआत करना इसी का प्रमाण है।