लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। पेट में दर्द किसी को भी हो सकता है और अक्सर हम इसे अपच समझ लेते हैं। लेकिन 67 वर्षीय राम भाल यादव के लिए, यह जीवन-मृत्यु का मामला बन गया। वह मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के आपातकालीन विभाग में पहुंचे, उनके पेट में तेज दर्द था, चेहरा पीला पड़ चुका था और हाथ ठंडे थे। आईसी.एलयू में उनकी हालत चिंताजनक थी। तेज पल्स रेट (नब्ज), गिरता हुआ ब्लड प्रेशर और हीमोग्लोबिन स्तर मात्र 4 ग्राम/डीएल था। इन लक्षणों और लंबे समय से अनियंत्रित हाई बी.पी. के इतिहास को देखते हुए, डॉक्टरों ने एब्डोमिनल एऑर्टिक एन्यूरिज्म (एएए) का संदेह जताया। एक सी.टी. एंजियोग्राम ने उनके डर को पुख्ता कर दिया। इसमें 8 से.मी. से अधिक आकार का लीक हो रहा एएए दिखाई दिया, जो कि एक सर्जिकल आपात स्थिति थी।
एऑर्टा शरीर की सबसे बड़ी धमनी होती है, जो हृदय के बाएँ कक्ष से लेकर श्रोणि तक फैली होती है। इसके तीन मुख्य भाग होते हैं—प्रोक्सिमल एऑर्टा, जिसमें कोरोनरी और सेरेब्रल आर्टरीज होती हैं। छाती में थोरैसिक एऑर्टा और पेट में एब्डोमिनल एऑर्टा, जो लिवर, आंत और गुर्दों आदि में रक्त की आपूर्ति करती है। कई जोखिम कारक, जैसे हाई बी.पी., धूम्रपान, मोटापा, हृदय रोग, निष्क्रिय जीवनशैली, मधुमेह, और बढ़ती उम्र, एऑर्टा को कमजोर कर सकते हैं जिससे बाहर की ओर उभार बनते हैं जो एन्यूरिज्म बनाते हैं। एएए पेट के हिस्से में बनने वाला एक उभार है।
डॉक्टर गौरंग मजूमदार (डायरेक्टर एंड हेड, कार्डियोथोरेसिक एंड वास्कुलर सर्जरी, मेदांता हॉस्पिटल) बताते हैं “एऑर्टिक एन्यूरिज्म विकृतियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं और कोई लक्षण पैदा नहीं करती हैं, फिर भी वे टाइम बम की तरह खतरनाक होती हैं और उन पर हमेशा कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।”
डॉ. मजूमदार के मुताबिक, “प्रॉक्सिमल एऑर्टा में कोई भी एनेयुरिज्म 5 से.मी. से अधिक आकार का हो तो उसका तुरंत इलाज करना चाहिए, अन्यथा फटने की संभावना होती है। थोरैसिक और पेट की एऑर्टा में अगर एन्यूरिज्म 5.5 से.मी. से अधिक का हो तो डॉक्टरों को इसका इलाज करना चाहिए। अगर कोई एन्यूरिज्म 7 से.मी. से बड़ा हो तो यह एक आपात स्थिति होती है क्योंकि यह किसी भी समय फट सकता है। इसे तुरंत ऑपरेट करना चाहिए।”
“प्रॉक्सिमल या थोरैसिक एऑर्टा के फटने का मतलब है कुछ ही मिनटों में अचानक मौत। एएए के मामले में हमारे पास तकरीबन 30 मिनट की एक छोटी सी विंडो होती है पेशेंट की जान बचाने के लिए। सौभाग्य से जब श्री यादव का एब्डोमिनल एऑर्टा एन्यूरिज्म फटा तो वे पहले से ही एक बड़े हॉस्पिटल के आईसीयू में थे।“
समय की अहमियत को समझते हुए, डॉ. मजूमदार ने तेजी से विशेषज्ञ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और सर्जनों की एक टीम को एकत्र किया। उन्होंने बताया कि “हमने एन्यूरिज्म को नियंत्रित और मरीज को स्थिर करने के लिए हार्ट-लंग मशीन पर रखा। जब हमने ऑपरेशन किया, तो देखा कि उनका एन्यूरिज्म वास्तव में 10 से.मी. का था और उनके पेट में लगभग 2 लीटर खून भरा हुआ था।”
सर्जरी टीम ने एक जटिल ऑपरेशन में श्री यादव की जान बचाने में सफलता हासिल की। इसके लिए उन्होंने बाइफेमोरल बाईपास प्रक्रिया अपनाई, जिसमें क्षतिग्रस्त एओर्टा को बाईपास करते हुए रक्त प्रवाह के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है और इसमें काफी समय लगता है। चार घंटे की बारीक सर्जरी के बाद, डॉक्टरों ने खून के थक्कों को हटाकर रक्त प्रवाह को बहाल कर दिया।
श्री यादव की रिकवरी अद्भुत रही – उन्हें केवल पांच दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वे घर पर तेजी से ठीक हो रहे हैं।
डॉक्टर मजूमदार ने इस घटना का उदाहरण देते हुए कहा, एब्डोमिनल एऑर्टा एन्यूरिज्म के लक्षणों को पहचानना बेहद ज़रूरी है। एएए वर्षों तक बिना किसी लक्षण के बढ़ सकता है और अचानक जानलेवा बन सकता है। पेट में अचानक दर्द, पीठ में दर्द, याददाश्त में बदलाव, खासकर 50 साल से ऊपर के लोगों में, इन लक्षणों को कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।”
डॉ. मजूमदार सलाह देते हैं कि मध्यम आयु वर्ग के और बुजुर्ग लोगों को नियमित रूप से डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ये जांच एम.आर.आई., इकोकार्डियोग्राम, सी.टी. स्कैन, एक्स-रे आदि से हो सकती हैं, इससे ऐसी खतरनाक बीमारियों का पता चल सकता है जो बिना लक्षणों के शरीर को नुकसान पहुंचा रही हों।
“एब्डोमिनल एऑर्टा एन्यूरिज्म जैसे केसेज में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह बेहद जरूरी है कि आप सही सुविधाओं वाली जगह पर हों, जहां तेजी से निर्णय और कार्रवाई हो सके।“ डॉ. मजूमदार कहते हैं, “पेट दर्द की गंभीरता को कभी कम न समझें, क्योंकि यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का पहला संकेत हो सकता है।”