लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया की जानकारी के अनुसार, इक्विटी म्यूचुअल फंड में मई 2024 में 34,697 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश हुआ, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 83% से अधिक है। इसी महीने के एएमएफआई आंकड़ों के मुताबिक, देश भर के निवेशकों ने इक्विटी म्यूचुअल फंड सेगमेंट में थीमैटिक या सेक्टोरल फंड कैटेगरी में 19,213.4 करोड़ रुपये का निवेश किया। मई 2024 के एएमएफआई डेटा का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि एसआईपी के ज़रिए मासिक निवेश लगातार दूसरे महीने 20,000 करोड़ रुपये के पड़ाव को पार कर गया है।
भारत में म्यूचुअल फंड की संपत्ति लगातार बढ़ रही है क्योंकि निवेशकों का विभिन्न इक्विटी योजनाओं में विश्वास फिर से बढ़ गया है। टाटा म्यूचुअल फंड ने भी उत्तर प्रदेश में यही ट्रेंड देखा है, निवेशक उनकी इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। जनवरी और अप्रैल 2024 के बीच, उत्तर प्रदेश के निवेशकों ने टाटा म्यूचुअल फंड की अलग-अलग इक्विटी स्कीम्स में (टाटा आर्बिट्राज फंड सहित) 647 करोड़ रुपयों का निवेश किया, उनमें से लखनऊ और कानपुर के निवेशकों ने क्रमशः 119.6 करोड़ और 93 करोड़ रूपए निवेश किए हैं।
इसी अवधि के दौरान, जनवरी से अप्रैल 2024 तक, उत्तर प्रदेश के निवेशकों ने टाटा लार्ज कैप फंड और टाटा लार्ज एंड मिडकैप फंड में 62.6 करोड़ रुपये और टाटा स्मॉल कैप फंड में 80.2 करोड़ रूपए निवेश किए।
दिलचस्प बात है कि, जनवरी से अप्रैल 2024 तक, उत्तर प्रदेश के निवेशकों ने थीमेटिक या सेक्टरल फंड्स में निवेश को प्राथमिकता दी, उन्होंने टाटा डिजिटल इंडिया फंड में 98.2 करोड़ और टाटा इंडिया फार्मा एंड हेल्थ केयर फंड में 11.6 करोड़ रूपए निवेश किए।
एएमएफआई से मिली हाल ही की जानकारी के अनुसार, भारत भर के निवेशकों ने मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में रुचि दिखाई है। पिछले एक साल में मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों ने लार्ज-कैप सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया है। मई 2024 तक एएमएफआई के आंकड़ों के मुताबिक, मिड-कैप फंडों में 2,724.67 करोड़ रुपये और स्मॉल-कैप फंडों में 2,605.70 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। जबकि निवेशकों ने लार्ज-कैप फंडों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, 663 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। निकट भविष्य में व्यापक बाजार के अधिक संतुलित होने की संभावना है क्योंकि लार्ज-कैप में रिस्क-रिवॉर्ड तुलनात्मक रूप से आकर्षक हो गया है।
टाटा एसेट मैनेजमेंट की फंड मैनेजर (इक्विटीज) मीता शेट्टी ने कहा, “मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स, वैविध्यपूर्ण कॉर्पोरेट आय वृद्धि और बड़े बैंकिंग/कॉर्पोरेट क्षेत्र का स्वास्थ्य यह बाज़ार के दीर्घकालिक सकारात्मक रुझान में योगदान देने वाले प्रमुख कारक हैं। वर्तमान मूल्यांकनों और प्रत्याशित वृद्धि ट्रेजेक्टरी को देखते हुए, दीर्घावधि में फार्मा और नीजि बैंकिग सेगमेंट का प्रदर्शन अच्छा होने की उम्मीद है। यूएस जेनेरिक मार्केट में फिर से आयी हुई वृद्धि की वजह से फार्मा सेक्टर एक सुस्पष्ट डिफेन्सिव बेट हो सकता है। आईटी सेक्टर का मूल्यांकन इस समय थोड़ा अधिक लगता है, हालांकि, लंबे समय में मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने और यूएस फेड द्वारा अपेक्षित दरों में कमी आने के कारण सेक्टर में कुछ मज़बूती देखने को मिल सकती है। लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए एसआईपी रूट को जारी रखने की सिफारिश की जाती है।”
मई 2024 तक एएमएफआई के आंकड़ों के अनुसार, मई 2019 में उत्तर प्रदेश में निवेशकों का औसत उद्योग एयूएम 1,03,169 करोड़ रुपये था, जो मई 2024 में बढ़कर 2,71,309 करोड़ रुपये हो गया। पिछले पांच वर्षों में 163% की पूर्ण विकास दर दर्ज की गई। टाटा एसेट मैनेजमेंट ने पूरे भारत में 100 शाखाओं का एक नेटवर्क स्थापित किया है और 9 शाखाएँ उत्तर प्रदेश में हैं।